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अब के ऐसा वसंत खिले आर्गेनिक हर निगाह रहे

कविता मल्होत्रा (स्तंभकार, संरक्षक ) हर साल प्रतीकों के आधार पर हम सभी कुछ राष्ट्रीय और कुछ अँतर्राष्ट्रीय दिवस, कुछ वैश्विक और कुछ प्रतीकात्मक दिवस मनाकर अपने दायित्वों की इति श्री समझ लेते हैं।जिस भारतीय संस्कृति पर समूचा विश्व गर्वित होकर हमारे पारिवारिक संस्कारों के प्रति सम्मोहित होने लगा है, हम सभी उस संस्कृति की…

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वर्ष 2022 संकल्प : क्या करें?… क्या न करें?…

डॉ. नीरू मोहन ‘वागीश्वरी’ वर्ष आते हैं और चले जाते हैं परन्तु अपने साथ बहुत-सी दुखद और सुखद यादों के अनुभव छोड़ जाते हैं; जिनको याद करके मन कभी खुश हो जाता है और कभी दुखी। मुझे लगता है सभी को अपने आने वाले समय का इंतज़ार रहता है मगर वह कैसा बीतेगा इसका एहसास…

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नयी ऊर्जा की ओर : आशा सहाय

वर्ष 2021 गुजर चुका है।समस्याओं और उपलब्धियों से यह लर्षभरा रहा ,ऐसा कहने में हमें संकोच नहीं होता. इसलिए कि समस्याओं ने राष्ट्र को अगर परेशान किया तो उनके समाधान भी देश ने ढूँढ लिए । कोरोना से जूझने के लिए टीकाकरण अभियान ने सामान्य जनता को सामान्य जीवनशैली की ओर उन्मुख कर दिया।यद्यपि इतनी…

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जलना ही है तो सूरज की तरह जलो

जलना ही है तो सुरज की तरह जलो।रौशनी की तरह चमकोगे। जलना ही है तो जलते दिये की तरह जलो।रौशनी की तरह अंधेरे में भी चमकोगे। इंसान को देखकर इंसान से मत जलो।जल्द ही पतन होगा तुम्हारा। न पछताबे से कुछ हासिल होगा।न ही पैर किसी के खिंचने से। किसी से जलने से शून्य में…

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सम्पादकीय : मनमोहन शरण ‘शरण’

‘उत्कर्ष मेल’ के सभी पाठकों को नववर्ष 2022 की शुभकामना देता हूँ और प्रभु के श्रीचरणों में निवेदन करता हूँ कि सभी देशवासियों को मन–बुद्धि–कौशल से दृढ़तापूर्वक संकल्प के साथ कार्य करने की शक्ति दें । सभी स्वस्थ रहें, सुखी हों ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें ।नव वर्ष का उत्साह एक तरफ है और कोरोना के…

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नए वर्ष 2022 से आपकी कितनी उम्मीदें और क्यों ?

महामारी की चपेट में जूझ रहे पूरे विश्व को विगत दो वर्षो से दैनिक लाइफ स्टाइल में काफी उठा पटक देखने को मिली । वर्तमान परिवेश में नए आंग्ल वर्ष का आगमन सबके लिए कम उत्साहजनक,  अधिक  चिंताजनक और अतीत के डर से  ज्यादा सचेत  हो सकता है । हर वर्ष एक वर्ष जाता है,…

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हाइकु माला

नवीन वर्ष घी, शकर, चूरमा मां का आंगन उन्मन मन ठिठुरता बदन ठंडा है चूल्हा सिकुड़ती मां आंचल में संतान स्नेह उड़ेले बीता बरस खोजता प्रतिपल खुशी के पल देव समाज प्यार भरा आंगन भरे उमंग नवीन वर्ष विद्यालयों का द्वार न रहे बंद बांह पसारे करो शुभ-आरंभ नवीन वर्ष… 2022 डॉ. नीरू मोहन ‘…

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आशंकाओं के भंवरजाल में नव वर्ष का उत्सव

इस एक जनवरी को उदित हुए सूरज के लाल रंग में उच्छवास नहीं है । घर की दीेवाल पर टंगें नए कैलेण्डर की चमक में भी आकर्षण नहीं है । शेष बचे पेड़ों की शाखाओं पर चिड़ियां तो चहक रहीं हैं पर इन पक्षियों की चहक मंे भी उत्साह नहीं सुनाई दे रहा है ।…

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बनें रब का सेवादार

कविता मल्होत्रा (संरक्षक, स्तंभकार) “माता-पिता केवल शब्द नहीं ये जीवन का हैं सार ईश्वरीय श्रवण कुमार वही जो सृष्टि का सेवादार” शिक्षा के क्षेत्र में अनेक प्रकार की संभावनाएँ होती हैं जो किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व को तराश कर एक सुघड़ आकार देतीं हैं।हर व्यक्ति की पसंद अलग होती है।अपनी पसंद के अनुसार हर…

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जीवन पथ

अरे जीवन पथ के पथिक विश्राम कर ले तनिक कहां भागा जा रहा अंधी दौड़ प्रतियोगिता तूने ही तो मारी अपने पांव कुल्हाड़ी मालूम तो था न जीवन है चार दिना ईट पत्थर से बनाए पहाड़ हरी-भरी वसुधा उजाड़ क्यों फैलाया आडंबर वनों को काटकर लुप्त चील गिद्धों के परिवार मृत पशु था उनकाआहार चूस…

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