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क्या हुआ तेरा वादा……….. ! – कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

राजनीतिक सफरनामा राजनीति तो वायदों का ही खेल है । ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई राजनीति करे और वायदा न करे और फिर चुनावों में….चुनावों में तो वायदे पानी की तरह बहते दिखाई देता है, वह चुनाव चाहे सरपंच का हो या लोकसभा का । इतने वायदे किए जाते हैं कि वायदा करने…

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युवाओं को अपनी संस्कृति, कला और विरासत से जोड़कर बनायें एक श्रेष्ठ नागरिक –  पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

युवा आने वाले कल के भविष्य हैं। इनमें आरम्भ से ही अपनी संस्कृति, कला, विरासत, नैतिक मूल्यों के प्रति आग्रह पैदा कर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया के इस अनियंत्रित दौर में उनमें अध्ययन, मनन, रचनात्मक लेखन और कलात्मक प्रवृत्तियों की आदत  न सिर्फ उन्हें नकारात्मकता से दूर रखेगी अपितु उनके…

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रेशमा  :  डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”

रेशमा एक बहुत ही सीधी-सादी लड़की थी । जहां उसके साथ की लड़कियां फ़ैशन ,टीवी और मोबाइल में लगी रहती थी वहीं वह उम्र से पहले ही बड़ी हो चुकी थी। रेशमा का पिता शराबी था वह दर्जी का काम किया करता था परन्तु सारी की सारी कमाई अय्याशी और शराब पर लुटा दिया करता…

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10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के बहाने

वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय  योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन भी होता है। योग कोई सरल प्रक्रिया नहीं है और ना ही प्रदर्शन की वस्तु है। योग मनुष्य को स्वस्थ जीवन के साथ मोक्ष के…

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