तुम द्युति गति
अनन्त सीमा हो
श्वासों का ऊर्जित प्रवाह
ऊषा प्रस्फुट हीमा हो!
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तुम गति लय भारत की
तुम उत्तंग शिखर पताका
तुम गौरवपथधावक विजयी
तुम अग्निशिखा शलाका!
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तुम धीरजधात्री धरणी
तुम लक्ष्यभेदक करणी
तुम एकलव्य पार्थ हो
भारत अस्मिता भवतरणी!
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तुम जठराग्नि अभाव
तुम अकिंचन दबाव हो
तुम प्रभंजन नियतिकाल
श्रीशक्ति अद्भुत मिसाल हो!
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विजय श्रेष्ठता अवगाहित
स्वर्णमंजुषा से सम्मानित
भारत अभिमान समाहित
रग रग राष्ट्र-प्रेम प्रवाहित!
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हमें गर्व है
अग्नि पथ की हीमा तुमपर
साहस की असीमा तुम पर
मातृशक्ति प्रतिमा तुम पर
हमें गर्व है
क्रीड़ांगन की परि मां तुम पर!
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-अंजनीकुमार’सुधाकर’