ओम के उपरांत सबसे पूजनीय
शब्द है मां
आशीर्वादों की बरसात है मां
इस दिल की धड़कन है मां
श्वांसो का आवागमन है मां
प्रथ्वी पर चट्टान है मां
देवी का स्वरूप है मां
प्यार का दरिया है मां
रिश्तों को जोड़े वो कड़ी है मां
कर्तव्य का प्रायवाची है मां
एक अलग ही राशि है मां
एक नया विश्वास है मां
वात्सल्य का संदेश है मां
सुंदर सा परिवेश है मां
सबको भाए वो वेश है मां
प्रभु का दर्पण है मां
इंसानियत को समर्पण है मां
संसार की उत्पत्ति है मां
बच्चों की सम्पत्ति है मां
प्रकृति से जोड़े जो नाता
वो उत्कर्ष कड़ी है मां
मां चंदन है वंदनीय है मां
वहीं है तीरथ जहां है मां
शब्दों में व्यक्त ना होती मां
भावनाओं में जीती है मां
सब कुछ सहकर भी
कुछ नहीं कहती है मां
इसके चरणों की धूल
इसके सिवा मिलेगी कहां।
शत शत तुम्हें नमन मां
कर्ज चुका ना पाऊं तुम्हारा
क्षमा कर देना मुझे मां।
हीरैंद्र चौधरी