- कर्नल सारंग थत्ते
यह हम सब की जंग हैं. चीन से आई हुई यह त्रासदी वैश्विक स्तर पर पूरी पृथ्वी को अपनी चपेट में ले चुकी है. सभी बड़े राष्ट्रों ने अपनी अपनी सीमा को लॉकडाउन कर दिया है और अपने दायरे में जनता से लेकर आवागमन और देश की सीमाओं पर प्रतिबंध लगा दिए है. संक्रमण का फैलाव युरोप, अमेरिका और ब्रिटेन में ज़्यादा देखने को मिला है. इटली में सेना को बुलाया गया है और देश में मारे गये लोगों को दफनाने के काम में सैनिकों की सहायता ली जा रही है.
कोरोनो वायरस रोग (कोविड -19) महामारी के खिलाफ भारत में एक राष्ट्रीय प्रयास जारी है. इस वैश्विक जैविक युद्ध में खतरा तेजी से बढ़ रहा है. पहले चीन का वुहान शहर, फिर चीन और आसपास के देश, उसके बाद यूरोप में कोरोना के बादल मंडराने लगे. दिसंबर 2019 से शुरू हुए इस असाधारण चिकित्सा खतरे को भाँपने में कई देशों ने देरी की थी और उसका खामियाजा बलशाली देश अब भुगत रहें है. हर दिन संक्रमण से ग्रसित लोगों की संख्या में इज़ाफा हो रहा है.
क्वारनटाइन कैंप
देश में फैले हुए सैनिक अस्पतालों पर अपने सैनिकों और परिवार के अलावा बाहर से आने वाले मरीजों की देखभाल की भी जिम्मेवारी 8500 सेना के डॉक्टरों पर रहेगी. कोरोनोवायरस के प्रकोप के कारण मुंबई, जैसलमेर, जोधपुर, हिंडन, मानेसर और चेन्नई में छह क्वारंटाइन सुविधाएं सशस्त्र बलों द्वारा चलाई जा रही हैं. सेना इसके अलावा 51 मेडिकल यूनिट जो “उच्च निर्भरता इकाई” जिसमे आईसीयू की सुविधा मुहैया की गयी हो, के अस्पतालों को भी चिन्हित कर रही है. इस किस्म की सुविधा कोलकाता, विशाखापट्नम, कोची, डुंड़ीगल, बेंगालुरू, कानपुर, जैसलमेर, जोरहाट और गोरखपुर में स्थापित की जा रही है. सेना ने पिछले सप्ताह 19 समर्पित सैनिक अस्पताल जिसमे आम जनता और सेना के कोविड19 के मरीजों के लिए 4182 बिस्तर, 192 आईसीयू के बिस्तर और 393 उच्च निर्भरता वाले बिस्तरों का प्रावधान किया है. इस किस्म की सुविधा अहमदाबाद, बेलगाम, गोलकोंडा, झांसी, जोधपुर, नसीराबाद, सागर, पानगढ़, शिलांग, पटियाला, पालमपुर, पुणे और लखनऊ के सेना अस्पताल में स्थापित की गयी है.
भारतीय सेना ने बबीना, झाँसी, बाड़मेर, भोपाल, कोलकाता, बीनागुडी, भटिंडा, हैदराबाद, देवलाली, कानपुर, गोरखपुर, आगरा, विशाखापट्टनम, कोची और चिल्का कैंट में 15 क्वारंटाइन की व्यवस्था की है, जिससे 7000 व्यक्तियों को रखा जा सकता है. कॉविड19 के टेस्ट करने की सुविधा 5 सैन्य अस्पतालों में दी जा रही है – जिसमे नई दिल्ली का मुख्य सेना अस्पताल (रिसर्च और रेफरल), आर्म्ड फोर्सस मेडिकल कॉलेज, पुणे हैं एवं अन्य 6 मिलिटरी अस्पतालों में भी यह सुविधा बन रही है. सशस्त्र बल से सेवानिवृत्त स्वास्थ्य पेशेवरों को जरूरत पड़ने पर कोविड19 की जंग में शामिल करने के लिए तैयारी कर रही है. ताकि वे अपनी सेवाएं स्वेच्छा से दे सकें. ज़रूरत पड़ने से राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के 25,000 कैडेट भी जुटाए जा रहे है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने युद्ध स्तर पर पाँच सतहों की नेनो प्रोद्योगिकी से लैस एन-99 फेस मास्क बनाने का बीड़ा उठाया है. साथ ही 1.5 लाख लीटर सेनिटाइजर की पहली खेप विभिन्न उपयोगकर्ताओं को भेज दी है. वाहन अनुसंधान तथा विकास स्थापना (व्ही आर डी ई ) अहमदनगर ने पैदल चलकर आने वाले लोगों के लिए कोरोना वायरस से कपड़ों पर से सफाई के लिए एक वॉक थ्रू संयत्र बनाया है जिसमे हर व्यक्ति जो इसमे से गुजरेगा उस पर 25 सेकेंड के लिए हाइपो सोडियम क्लोराइड द्रव्य को स्प्रे किया जाएगा.
भारतीय वायुसेना
वायुसेना की नौ प्रमुख एयर बेस पर मौजूद अस्पतालों में क्वारनटाइन की व्यवस्था का बनाया गया है. यहाँ प्रत्येक बेस पर 200 से 300 लोगों को ठहराने की व्यवस्था की गयी है. एयर फोर्स के सभी केंद्रों पर भारत सरकार व्दारा दिए गये निर्देशों का पालन करते हुए एहतियात की कार्रवाही की जा रही है, जिससे यहाँ काम कर रहे कर्मचारी कोविड19 के संक्रमण से बचे रहें. बेंगालुरू में स्थित वायुसेना का कमांड अस्पताल पहला अस्पताल बना जहाँ कोविड19 की टेस्टिंग की जा रही है. इसके बन जाने से इस इलाके के मरीजों में जल्द से जल्द रोग का पता चल पाएगा. भारतीय वायुसेना ने नई दिल्ली के वायुसेना मुख्यालय तथा अन्य कमांड मुख्यालयों में संकट प्रबंधन विभाग बनाया है, जहाँ से रात दिन तुरंत सहायता देने की ज़रूरत पर निगाह बनाई हुई है.
ऑपरेशन संजीवनी के तहत 28 वायुसेना के जहाज और 21 हेलिकॉप्टर इस संकट के समय के लिए तैयार किए है. वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर ने 15 टन की चिकित्सा सामान को चीन में पहुँचाया था, साथ ही वापसी में 125 भारतीय और मित्र देशों के लोगों को वापस भारत लाया गया था. एक सी-17 ग्लोब मास्टर ने ईरान के लिए उड़ान भरी और 58 भारतीयों के अलावा 529 मरीजों के सैंपल कोविड19 की टेस्टिंग के लिए भी भारत में लाए गये है. 2 अप्रेल को वायुसेना ने लेह के लिए दवाई और आवश्यक वस्तुओं को नई दिल्ली से ले जाया गया था. लगभग 60 टन आवश्यक सामग्री को वायुसेना के जहाजों ने देश के कई हिस्सों में पहुँचाया है. फरवरी के अंतिम सप्ताह में भारतीय वायुसेना ने वुहान से 76 भारतीय जिसमे 3 भारतीय दूतावास के अधिकारी और 36 विदेशी नागरिकों को वापस भारत लाया गया. इसमे 23 बांग्लादेशी, 6 चीनी एवं दो-दो मालदीव और मायनमार के नागरिक थे. इसी वायुसेना के जहाज से 15 टन के फेस मास्क ग्लव्स एवं अन्य आपातकालीन चिकित्सा उपकरण को चीन को भेजा था.
नौसेना की तैयारी
वर्तमान में गश्त, एंटी-पायरेसी या प्रशिक्षण मिशनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय जल में तैनात भारतीय नौसेना के सभी जहाजों को बंदरगाहों से दूर रहने के लिए कहा गया है, जब तक कि बिल्कुल आवश्यक न हो. घातक वायरस की चपेट में आए देशों में बंदरगाह सख्त ‘नो-गो’ जोन में है. नौसेना के छः युद्ध पोत तुरंत हरकत में आने के लिए तैयार किए है. पड़ोसी देशों मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और अफ्गानिस्तान के लिए पांच मेडिकल टीमें भी तुरंत कार्रवाही के लिए तैयार की है. नौसेना की गोताखोरी समर्थन पोत आईएनएस नीरिक्षक ने दक्षिण भारत में कोची के तट पर एक मच्छीमार नौका सेंट निकोलस के चालक दल को बचाया और खाना-पानी देकर सफलतापूर्वक समुद्र से निकाला था. नौसैनिक डॉकयार्ड मुंबई ने कोरोना ग्रसित लोगों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल होने वाली तापमान की गन को देश में ही कम कीमत पर बनाया है.
सेना की अपनी जरूरत
आने वाले समय में देश की सेना जहाँ देश रक्षा की जरूरत से दो – दो हाथ करने के लिए तैयारी कर रही है, वहीं इस राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में अपने सैनिकों की आवाजाही पर भी नजर बनाए हुए है. सैन्य ठिकानो पर सैनिक और अन्य मजदूर एवं असैनिक जनता के साथ मेल मिलाप को कम और एहतियात बरतने के तरीके इजात किए गये है. कुछ हद तक सैनिकों के कैन्टोनेमेंट ने अपने आप को बाहर के वातावरण से अलग किया हुआ है. साथ ही यूनिटों में सोशल डिस्टेनसिंग अर्थात सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का कड़ाई से पालन किया जा रहा है.. यूनिटों में स्वच्छता सुनिश्चित करने और सैनिकों को समूह में विभाजित करना और रोजमर्रा के काम करने के लिए कहा गया है.
विश्व के अनेक देशों में सेना को कोरोना से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए ज़मीन पर लगाया गया है. भारत में फिलहाल हवाई जहाज से मदद और दूर देशों से अपने नागरिकों की वापसी, सैंपल को लैब तक पहुंचना, मास्क और सेनीटीज़ेर का निर्माण, कोरोना की टेस्टिंग और सक्रमित मरीजों को क्वॉरॅंटेयिन में रखने की ज़िम्मेवारी तथा किसी भी स्थिति में आम जनता को मदद के लिए तैयार रहने के लिए ज़मीन, आकाश और समुद्र सतह पर ज़िम्मेवारी दी गयी है. हमारी सेना पूरी तरह से तैयार है.
( लेखक सेवा निवृत्त कर्नल है )