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गीत – मुझे न भुलाना

अगर छोड़कर चल दिए हम जमाना।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।

अगर छोड़ दें साथ साँसे भी मेरा।

कहाँ फिर रहे साथ मेरा और तेरा।।

मेरे जीते जी साथ कुछ पल बिताना।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।

हम रहे न रहे जिंदा बातें रहेंगी।

हम बसते थे दिल में तब यादें बसेंगी।।

भुला न सकोगे मेरा तुम

 हँसाना।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।

सब मौजूद होंगे पर होंगे न हम।

कमी होगी मेरी होगी आँखे भी नम।।

तुम्हें है कसम खुद को न रुलाना।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।

याद आएगा सबको मेरा मस्कुराना।

हँसी के ही पीछे गम सब छुपाना।।

मगर जान जाते हो तुम जाने जाना।।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।

गीत-गजलें लिखी जो तुम्हारे लिये।

शब्द हृदय से लगा लोगे हमारे लिये।।

तू पहली नजर का मेरा है दीवाना।।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।।

जब कभी तुमको बढ़ जाये बेचैनियाँ।

और सताने लगे तुमको बेताबियाँ।।

आँगन की तुलसी में दिया एक जलाना।।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।।

मिलना बिछड़ना ये दस्तूर है।

कोई पास तो फिर कोई दूर है।।

खत्म है सफर ज़िन्दगी का सुहाना।।

मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना।।

श्रीमती वंदना सोनी “विनम्र”

फकीरचन्द अखाड़ा जबलपुर मप्र

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