मैच खिलाड़ियों का फील्डिंग में होता था ,
देखो ,
हारकर भी खिलाड़ी चैन से सोता था ,
हम सोचते थे पहले ,हर मैच में ही हार होती है ,
क्या समझते थे हम कि ,
जिंदगी दुशवार होती है ।
जीतते है तो बस दुनियाँ में ही नाम होता है ,
मिलते है कम पैसे तो जीना हराम होता है ।
अब समझ में ये आया तब ये जाना है ,
मंजिल कोई भी हो ,अब फिक्स का ही जमाना है ।
फिक्स के नाम पर लोग क्या -क्या फिक्स कर रहें है,
दूसरों की जेब से अपने ही घर को भर रहें है ।
इसकी टोपी उसके सिर धर रहे है ,
करनी करें खुद
पर दूसरों के नाम मढ़ रहे है ।
अब जाके ये समझा है ,
मैच फिक्सिंग में बड़ा आराम है ,
हारते है फील्ड पर
पर घर में तो बड़ा मान है ।
डा .माधवी कुलश्रेष्ठ