(यशपाल सिंह “यश”)
उनके बयान और, ये अंदाज़ देखिए
इक्कीसवीं सदी का, तख्तो ताज देखिए
जाहिर है हुआ मुल्क में, बदलाव कुछ बड़ा
कल तक थी जो खामोश, वो आवाज़ देखिए
हर रोज उठाते जो, किसी और पर उंगली
कल उनका देखिए, फिर उनका आज देखिए
हो जाए खिलाफत में, भले मुल्क का नुक़सान
बिगड़ा है सियासत का, क्या मिजाज़ देखिए
संसद में कल जो, आपकी आवाज़ बनेंगे
उनके चुनावी जंग में, अल्फ़ाज़ देखिए
अब आप या इस ओर, या उस ओर खड़े हैं
इस एक नई दीवार का, समाज देखिए
“यश” ने तो यहां पर, किसी का नाम ना लिया
कुछ लोग मगर हो गए, नाराज देखिए