एक दिन एक शेर शेरनी से बोला
ओ भगवान क्या है हमारे समाज का हाल
मैंने सुना है कल ही एक शेर ने
दूसरे शेर की खींची थी खाल
यह बात आज तक मुझको समझ नहीं आ रही है
क्यों हम जानवरों को
इंसानों की लत लगती जा रही है
आज इंसान इंसान का गला काट रहा है
धर्म और जाति के नाम पर समाज को बांट रहा है
हमारा तो कोई धर्म भी नहीं है
धोखेबाजी हमारा कोई कर्म भी नहीं है
मुझे लगता है एक दिन ऐसा आएगा
जब एक शेर दूसरे शेर को खा जाएगा
तभी शेरनी गुराई _
ए जी तुम किस जमाने में जी रहे हो
मुझे लगता है आज तुम दारू के घूंट पी रहे हो
तुम्हारा दिमाग अब हो गया है खाली
कल दूसरे शेर ने दी थी तुमको
इंसान के नाम की गाली
हम शेर तो फिर भी भाईचारा निभाते हैं
लेकिन क्यों यह इंसान हैं
हैवानियत की तरफ दौड़े चले जाते हैं
काश इन इंसानों को शांति और भाईचारे
की बात समझ आए
तब सारा संसार क्यों ना खुशी के गीत गाए
खुशी के गीत गाए।
खुशी के गीत गाए।
संजय अमन पोपली।