वाराणसी को भाजपा का गण कहा जाता है क्योंकि काशी ने ही मुरली मनोहर जोशी जैसा मजबूत संघ विचारक , सांसद नेता और महेंद्र नाथ पांडेय जैसा जनप्रिय मंत्री दिया है । वर्तमान राजनीति में वाराणसी में विधानसभा चुनावों में एक जो सबसे चर्चित और लोकप्रिय चेहरा नजर आ रहा वो है राज्य सरकार में मंत्री और बेहद सरल और सर्वसुलभ नेता श्री दयाशंकर मिश्र दयालु जी । जी हां श्री दयाशंकर मिश्र दयालु जी वाराणसी वासियों के दिल में निवास करते है और दिन रात जनता की सेवा में लगे रहते है । एक कार्यक्रम के दौरान मैं जब श्री दयाशंकर मिश्र दयालु जी से मिला तो मैंने उनसे पूछा की मंत्री जी बाकी मंत्री और नेता वीआईपी टैग लेकर लक्जरी गाड़ियों में केवल सचिवालय और पार्टी संगठन के चक्कर काटते है , जुगाड में रहते है , टिकट पाने के चक्कर में इसकी टोपी उसके सर करते है और एक तरफ आप इतना वी आई पी सुख सुविधा त्याग , व्यस्त रहते हुए भी जनता के बीच रहकर दिन भर इनकी समस्याओं के निराकरण का प्रयास करते रहते है क्या आपको सत्ता का लालच नहीं तो मंत्री जी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पंकज जी मुझे जनता चुनेगी तो ही मैं पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो पाऊंगा , अगर जनता के काम आ पाऊंगा तो ही मेरी राजनीति सफल होगी । मुझे अपने काशी वासियों से विशेष लगाव है । मै वाराणसी में बसे सभी धर्म के लोगो को अपना भाई और हितैषी मानता हूं और बराबर इनके सम्मान और हक के लिए इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता हूं । मुझे अब राजनीति से सिर्फ इतना ही मतलब है कि राजनीति में रहते हुए मै अपने क्षेत्र के जनता और प्रदेश के गरीबों और वंचितों के काम आ सकू। आगे बोलते हुए श्री दयाशंकर मिश्र दयालु जी ने कहा कि एक मंत्री के तौर पर यह कहना चाहूंगा की प्रदेश की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने विकास के जितना कार्य किया है शायद ही किसी के कार्यकाल में उतना कार्य हुआ हो । प्रदेश में 70 वर्षों से उपेक्षित पूर्वी उत्तर प्रदेश को मोदी जी और योगी जी ने 7 वर्षों में विकास की एक नई पहचान दी है। वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में विकास की कई योजनाएं लांच की लेकिन 2017 में योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का कमान मिलने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित विकास हुए हैं। जिसका लाभ स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार में गांव, गरीब, किसान, युवा, बेरोजगार एवं सभी वर्गों को मिलेगा। मोदी योगी की जोड़ी ने जिन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूर्वांचल में 7 वर्षों में जमीन पर उतारा है उनमें खाद कारखाना, एम्स, रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, पूर्वांचल एक्सप्रेस, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वाराणसी एयरपोर्ट, अमूल दुग्ध प्लांट कारखियांव , काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट, श्रावस्ती एयरपोर्ट, गोण्डा मेडिकल कॉलेज, बस्ती मेडिकल कॉलेज, बलरामपुर मेडिकल कॉलेज, बहराइच मेडिकल कॉलेज, देवरियां मेडिकल कॉलेज, सिद्धार्थनगर मेडिकल कॉलेज, जौनपुर मेडिकल कॉलेज, मिर्जापुर मेडिकल कॉलेज, गाज़ीपुर मेडिकल कॉलेज, अयोध्या में विश्व स्तरीय बस स्टेशन एवं रेलवे स्टेशन, आयुष विश्वविद्यालय- गोरखपुर, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय- प्रयागराज आदि शामिल हैं।
इसके पहले इतने कम समय में पूर्वांचल को इतनी बड़ी बड़ी परियोजनाएं कभी नहीं मिली है। 40 वर्षों से अधिक केंद्र एवं प्रदेश में सत्ता में रहने वाली कांग्रेस ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में उपेक्षाकृत महत्त्व नहीं दिया। एक समय आया था जब वीर बहादुर सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यममंत्री बने तो उन्होंने पूर्वांचल के विकास के लिए प्रयास किया है। लेकिन उसके बाद किसी सरकार ने विकास पर ध्यान नहीं दिया। विशेषकर 1989 के बाद गैर कांग्रेस सरकारों में पूर्वी उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार गुंडाराज साम्प्रदयिकता जातिवाद और अपराधियों का साम्राज्य कायम हो गया। काफी संख्या में आपराधिक चरित्र के नेता जाति-धर्म की सियासत करके धन बल के आधार पर विधानसभा लोकसभा तक पहुंच गए। पूर्वी क्षेत्र की बदहाली के लिए कोई एक दल, एक नेता जिम्मेदार नहीं है। इसके पहले भी बसपा सरकार में भी पूर्वांचल उपेक्षित रहा। भ्रष्टाचार और माफियाराज बना रहा। मायावती और अखिलेश की सरकार ने पूर्वांचल को जाति एवं धर्म के आधार पर विभाजित करके वोट बैंक की सियासत की गई। मायावती जब-जब मुख्यमंत्री बनी उन्होंने केवल दलित एजेण्डे के नाम पर मूर्तियां लगवाई जमकर भ्रष्टाचार किया। पैसा लेकर भ्रष्टाचारियों और अपराधियों को टिकट दिया। जिसके कारण मायावती के मुख्यमंत्री काल में पूर्वांचल शोषण का जरिया बना रहा।
समाजवादी सरकार में भी स्वास्थ, शिक्षा, रोजगार बंद पड़ी चीनी मिलें व अन्य किसी प्रकार के प्रयास नहीं किए। सरकार के अंतिम समय 2017 में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बनाने की पहल की लेकिन प्राथमिकता लखनऊ से आगरा एक्सप्रेस वे को दिया जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे आगरा एक्सप्रेस वे से ज्यादा महतावपूर्ण एवं प्राथमिकता पर होना चाहिए। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे कन्नौज, इटावा आदि सपा नेताओं के संसदीय क्षेत्र एवं गृह जनपद जुडते थे इसलिए महत्व दिया गया। पिछले 4 दशक से पूर्वांचल में विशेषकर गोरखपुर से इन्फ्लाइटिस से बच्चे मरते थे। इसके लिए योगी आदित्यनाथ आवाज उठाते रहे लेकिन सपा बसपा काँग्रेस तीनों सरकारों ने महत्व नहीं दिया। पूर्वांचल की स्थित उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक खराब थी। अशिक्षा और बेरोजगारी के कारण जाति एवं धर्म में बटें मतदाता ऐसे सांसद और विधायक चुनते रहे जिन्होंने पूर्वांचल के विकास की जगह अपना विकास किया । स्थिति बहुत ही भयावह थी और लग रहा था कि पूर्वांचल की सियासत में जो नेता सांसद और विधायक बना रहे है उनके माध्यम से कभी गरीबी दूर नहीं हो सकती है लेकिन यह परसेप्शन बदला है। 2014 में वाराणसी से सांसद बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विकास का प्रयास शुरू किया जिसे योगी ने मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दल मायावती, अखिलेश, प्रियंका गांधी चाहे जितना विरोध करे, आरोप लगाएँ लेकिन इस कड़वी सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन तीनों सरकारों के समय पूर्वांचल सबसे अधिक उपेक्षित रहा। प्रियंका के लिए प्रदेश के विकास का मतलब अमेठी और रायबरेली तक सीमित रहा। अखिलेश का सैफई, मायावती का विकास पत्थरों का पार्क और मूर्तियों तक ही सीमित रहा। इस सच्चाई से जनता भी इंकार नहीं कर सकती कि जो परियोजनाएं मोदी जी और योगी जी के प्रयास से 7 वर्षों से पूर्वांचल में जमीन पर उतरी है वह सर्वांगीण विकास के लिए काफी सार्थक साबित होंगी ।
___ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।