जलना ही है तो सुरज की तरह जलो।
रौशनी की तरह चमकोगे।
जलना ही है तो जलते दिये की तरह जलो।
रौशनी की तरह अंधेरे में भी चमकोगे।
इंसान को देखकर इंसान से मत जलो।
जल्द ही पतन होगा तुम्हारा।
न पछताबे से कुछ हासिल होगा।
न ही पैर किसी के खिंचने से।
किसी से जलने से शून्य में ही अटक जाओगे।
मेहनत करो संघर्ष करो विश्वास अपने पर रखो।
पेड़ की टहनियों की तरह आगे बढ़ते जाओगे।
मंजिल भी मिलेगी रास्ता भी मिलेगा।
शिखर तक पहुंचने में देर भी ना होगी।
जलना ही है तो सुरज की तरह जलो।
जलना ही है तो जलते दीये की तरह जलो।
आशीष रंजन सीतामढ़ी बिहार।