मनमोहन शर्मा ‘शरण’
नववर्ष 2024 आपके तथा आपके परिवारजनों के लिए, पूरे राष्ट्र के लिए शुभ हो, यही कामना और मेरी प्रभु से प्रार्थना है । कुछ नयापन करने के लिए प्रतिदिन नये उत्साह के साथ अपने कर्म पर जुट जाते हैं और बात जब पूरे वर्ष की हो, नए वर्ष में प्रवेश करने की हो तब अच्छी–बुरी–खट्टी–मीठी यादों को भुलाकर एक नए उत्साह एवं उमंग, नये संकल्पों के साथ उड़ान भरते हैं ।
जनवरी माह में ही (दिनांक 22) को रामलला प्रतिष्ठित स्वरूप में विराजमान होंगे — भव्य मंदिर — भव्य प्राण प्रतिष्ठा––सुंदर भजन की पंक्तियां हैं––––मेरी झौपड़ी के भाग्य आज जाग जाएंगे राम आएंगे––– अयोध्यावासियों की बात करें, पूरे उत्तर प्रदेश की कहें तो यह पंक्तियां चरितार्थ प्रतीत हो रही हैं । अयोध्या में विशाल एयरपोर्ट महर्षि वाल्मीकि जिसका नामकरण हुआ, भव्य मंदिर निर्माण से पूरी अयोध्यावासियों को रोजगार के भी अवसर प्राप्त होंगे । पूरा उत्तरप्रदेश ही नहीं, पूरे भारत में, भारतवासियों में एक अलग उत्साह है, प्रभु राम के प्रति श्रद्धा है । जब बात चली कि जो राम को लाए हैं हम उन्हीं को लाएंगे । यहां ऐसा भी सोचा जा सकता है कि राम गये ही कहाँ थे, जिनको घट–घट में, कण–कण में विद्यमान होने की बात की जाती है निराकार रूप में, तब वे गये ही कहाँ । हाँ अब भव्य मंदिर में अपने स्थान पर गौरवमयी रूपरेखा के साथ विशाल मंदिर–विशाल आयोजन अपने में अद्वितीय सुखद पल होने जा रहे हैं । हम यह भी जानते हैं कि पत्ता तक तो उनकी मर्जी के बिना हिलता नहीं, कब उनको कहां और कैसे पहुंचना है यह उनकी व्यवस्था–प्रेरणा से ही होता है ।
वर्ष 2023 में कुछ बातें अभी हमारे साथ ही वर्ष 2024 में प्रवेश करेंगी । रूस–युक्रेन युद्ध अभी विराम होने का नाम नहीं ले रहा , वे अपने–अपने दो–दो हाथ आजमा रहे हैं ।और गाजा–इजरायल में भी यही स्थिति बन गई है । युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है — मिल बैठकर बात करने से ही बात बनेगी । लेकिन यह कोई भी मानने को तैयार नहीं है । ‘कोरोना’ का रोना 2019–20 में खूब रोया दुनिया ने और भारतवासियों ने भी । अब कुछ शांत माहौल में सब अपनी कार्यप्रणाली–घर–गृहस्थी की गाड़ी चलाने लगे लेकिन दबेपाँव फिर कोरोना का नया वैरिएंट जेएन–1 भारत में भी फैलना प्रारंभ हो गया है । हालांकि अभी बहुत धीमी गति और स्वभाव से बढ़ना प्रारंभ हुआ है और अधिक खतरनाक स्वरूप सामने नहीं आया है । फिर भी सावधानी ही इसका सबसे बड़ा बचाव है ।
बात अपने देश की जिसमें रहते हैं, जी हाँ भारत माता की जय–जयघोष भी हम करते हैं । देश को भी माता का दर्जा µऔर मान्यता है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता भी निवास करते हैं । वास्तविकता में आज हम कहां अपने को पाते हैं । महिला पहलवान-एक नारी तथा देश की आन–बान–शान जिन्होंने विदेशी धरती पर जाकर भारतवासियों का मस्तक गर्व से ऊँचा किया और देश को मेडल दिलाए । और एक वर्ष से ऊपर हो गया संघर्ष करते हुए । सब कुछ अपने पास सत्ता–पावर–समर्थन फिर कौन सा पेच है कि बृजभूषण शरणसिंह से आगे निकल पाना किसी के बूते की बात नहीं है । और हटाया तो ऐसे को पीएफआई की कमान सौंपी जो उसी का अति घनिष्ठ––––ऐसी कौन सी मजबूरी है या क्या अनसुलझा रह गया जो सामने नहीं आ पाया ।
एक बार फिर नव वर्ष 2024 की अनन्त शुभकामनाएं और आशा करता हूँ कि सब अच्छा ही अच्छा हो नव वर्ष में किसी विकट स्थिति से दो–चार न होने पड़े । साधुवाद !