अवनीश जी की लड़की अपना ससुराल छोड़कर वापस मायके आ गई। सबने वर पक्ष की ही गलती बताई। विवाह के मात्र 6 महीने पश्चात लड़की घर वापस आ गई। खूबसूरत शौकत से विवाह किया गया था। दोनों पक्षों की तरफ से अधांधुध पैसा भी बहाया गया। शुरू में महीना भर तो सही चला। किंतु उसके बाद नैना को दिक्कत महसूस होने लगी। ससुराल में भी उसका ढंग नहीं बदला। रसोई में पैर ही नहीं रखना चाहती थी। उसकी सास सारा दिन रसोई में लगी रहती, उन्हें देखकर भी उसका मन नहीं पसीजता। नैना सोचती कि इस उम्र की औरतों का काम तो होता ही है रसोई में खपना। हमारी उम्र तो इंजॉय करने की है। कमरे में भी कपड़े चारों तरफ बिखरे पड़े रहते। उसकी सास जरा टोकती तो पूरा घर सर पर उठा देती।
यहां तक की नैना को अपने पति सार्थक का उसकी माँ के साथ उठना बैठना भी पसंद नहीं आता। वह सोचती कि उसके पति पर मात्र उसका ही हक है। कोशिश करती सार्थक को अपने साथ कमरे में रखने की। अच्छा भला परिवार टूट रहा था। नैना की सास गायत्री जी चक्की के दोनों पाटों के बीच पीस रही थी। सार्थक ने बहुत कोशिश की नैना को समझाने की, लेकिन अब नैना जिद पर आ गई सार्थक को लेकर अलग घर में बल्कि दूसरे शहर में शिफ्ट होने के लिए। सार्थक अपनी माँ का संस्कारी बेटा। नैना को प्यार तो बहुत करता लेकिन उसकी नाजायज बातों को मानने को तैयार नहीं था। इसलिए नैना ससुराल छोड़कर मायके आ गई। उसके परिवार वालों ने ससुराल वालों पर उल्टा मुकदमा दर्ज करा दिया। लेनदेन करके फैसला निपटा। दोनों पक्षों की सहमति से तलाक हो गया। अब नैना के पिताजी नैना के लिए दूसरे रिश्ते की तलाश करने लगते हैं।
जो कोई भी रिश्ता बताता, उसमें कमी निकाल देते। कहते एक बार धोखा खा चुके है। अब सोच समझ कर करूंगा रिश्ता।
उनके पड़ोसी ने खूब अच्छा रिश्ता बताया। लेकिन वह ना नुकर करने लगे। उनके पड़ोसी सुनील कुमार जी बोले,”आप बेटी वाले हैं ना और आज की तारीख में आपका सिक्का बड़ा है। क्योंकि सरकार ने आपको कानूनी अधिकार ज्यादा दे रखे हैं। आपकी बेटी एक बार तो अच्छा भला घर छोड़ आई। कमी आप में है, आपकी परवरिश में है। बेटी को कभी भी गलत सलाह नहीं देनी चाहिए।
अवनीश जी पर घड़ों पानी पड़ जाता है। सारा घमंड 1 मिनट में चूर-चूर हो जाता है।
प्राची अग्रवाल
खुर्जा उत्तर प्रदेश