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तुम्हारी जय जय

रचयिता डॉ. सर्वेश कुमार मिश्र

काशीकुंज जमुनीपुर प्रयागराज

तुम्हारी जय जय

तुम्हारी जय जय

हे  भूमि भारत!

तुम्हारी जय जय

मैं पूज्य बापू की साधना हूं,

आज़ाद शेखर की कल्पना हूं,

सुभाष की मैं वो कामना हूं,

सिंह भगत की संवेदना हूं,

शुद्ध आचरण की रीतिका हूं

मैं राष्ट्र देवी की दीपिका हूं।

तुम्हारी जय जय,

तुम्हारी जय जय,

हे भूमि भारत!

तुम्हारी जय जय।।१।।

मैं अपने मां की संकल्पना हूं,

पूज्य भारत की प्रेरणा हूं,

गुरुओं के मन की सर्जना हूं,

अपने शिष्यों की भावना हूं

भूले भटकों की चेतना हूं,

तुम्हारी जय जय

तुम्हारी जय जय

हे  भूमि भारत!

तुम्हारी जय जय।।२.।।

पिता की आंखों की रौशनी हूं,

दुष्ट जनों के लिए  शनी हूं,

रसिक जनों के लिए कवि हूं,

अंध तमस के लिए रवि हूं,

संत जनों की शुद्ध छवि हूं,

तुम्हारी जय जय

तुम्हारी जय जय

हे भूमि भारत!

तुम्हारी जय जय।।३.।।

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