माँ के त्याग ,समर्पण , योगदान और उनके प्यार के प्रति और सम्मान सभी मातृ शक्तियों को समर्पित करते है इन पंक्तियों के साथ
कौन कहता है धरती पर नहीं भगवान
हमे देखा है इस धरती पर देवी के रूप में है माँ”
कोख में रखकर नौ महीने तकलीफ़ सहन करती है माँ
बाहरी दुनिया के दर्शन भी कराती है माँ
हँसना ,रोना , बोलना ,पढ़ना सिखाती है माँ
प्यार भरे हाथो से थकान मिटाती है माँ
प्यार भरे हाथो से निवाला खिलाती है माँ
दुखों में रहकर भी मुस्कराती है माँ
दिन रात ईश्वर से दुआ मनाती है माँ
अच्छे बुरे की पहचान करना सिखाती है माँ
दो परिवारों को बांधकर ही तो रखती है माँ
चेहरे के हर भाव को पढ़ लेती है माँ
हर परिवार को स्वर्ग ही बनाती है माँ
दुखों के भवसागर से निकालती है माँ
चुपचाप ही हर दर्द को सह लेती है माँ
संस्कार ,कर्तव्यों का पाठ सिखाती है माँ
हर बुरी नज़र से बचाती है माँ
आँचल से ढककर दुलार बरसाती है माँ
जन्नत के दर्शन भी कराती है माँ
माँ को भेजकर ईश्वर ने किया उपकार
जिससे रोशन हुआ हर घर परिवार
नहीं उतार सकते कर्ज माँ का
सेवा देकर ही करे फ़र्ज़ अदा इस देवी का