Latest Updates

एड्स का जागरुकता ही बचाव है

विश्व एड्स दिवस ( 1 दिसंम्बर) पर विशेष
++++++++++++++++++++++++++++++++++
लगातार थकान,रात को पसीना आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह पर सफेद धब्बे,सुखी खांसी,लगातार बुखार आदी रहने पर एड्स की संभावना हो सकती हैं।
++++++++++++++++++
लाल बिहारी गुप्ता लाल
लगभग 200-300 साल पहले इस दुनिया में मानवों में एड्स का नामोनिशान तक नही था। यह सिर्फ अफ्रीकी महादेश में पाए जाने वाले एक विशेष प्रजाति के बंदर में पाया जाता था । इसे कुदरत के अनमोल करिश्मा ही कहे कि उनके जीवन पर इसका कोई प्रभाव नही पडता था। ये बंदर सामान्य जीवन जी रहे थे।
ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले एक अफ्रीकी युवती इस बंदर से अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित की और वह एड्स का शिकार हो गई क्योकि अफ्रीका में सेक्स कुछ खुला है , फिर उसने अन्य कईयों से यौन संबंध बनायी और कईयों ने कईयों से इस तरह एक चैन चला और अफ्रीका महादेश से शुरु हुआ यह एड्स जैसी घातक बिमारी आज पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले चुकी है। आज पूरी दुनिया में 40 मिलियन के आसपास एच.आई.बी.पाँजिटीव है इनमें से 25 मिलियन तो डिटेक्ट हो चुके हैं जिसमें सिर्फ अमेरिका में ही 1 मिलियन इस रोग से प्रभावित हैं।हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्रसंघ की ताजा रिपोरट के अनुसार एच.आई.वी. से प्रतिदिन 6,800 लोग संक्रमित हो रहें हैं तथा कम से कम 5,700 लोग एड्स के कारण मौत को गले लगा रहे है। 2022 के आकडे के अनुसार दुनिया में 3.6 करोड़ लोग एड्य से संक्रमित थे। 1997 में मार्गव स्टेट यूनिवर्सिटी में भाषण के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने विषेषज्ञों एंव वैज्ञानिको से एड्स के लिए टीके बनाने को कहा था। इस वर्ष 2024 का थीम Take the rights path: My health, my right इसका अर्थ है कि आपको अपने स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए सही विकल्प चुनने की आवश्यकता है। इसलिए, अपनी सेहत का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासकर सेक्स वर्करों के लिए प्रेम पिल वोरल दवा बनी है जिसका असर 24 घंटे रहता है पर अभी इसको डब्लू एच.ओ. ने इसे मान्यता नहीं दी है। पर हू ने एड़स जागरुकता गाइड लाइन जारी किया है – टेस्ट एंड ट्रीटमेंट यानी जांच कराओ औऱ पता चले तो दवाई तुरंत शुरु करो…। नया नारा हू ने दिया है कि एड्स अब डैथ सेंट्स अर्थात मृत्यु दंड नहीं रहा।

 भारत में कुछ मशहूर रेड लाइट एरिया–मुम्बई,सोना गाछी (कोलकाता), बनारस, चतुर्भुज  स्थान (मुज्जफरपुर), मेरठ एवं सहारनपुर आदि है। उनमें कुछ साल पहले तक तो सबसे ज्यादा सेक्स वर्कर मुम्बई में इस एड्स से प्रभावित थे पर आज एड्स से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्स कर्मी लुधियाना(पंजाब) में है और राज्यो की बात करे तो सर्वाधिक महाराष्ट्र में है। इसके बाद दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है।
इस विमारी के फैलने का मुख्य कारण (80-85 प्रतिशत) असुरक्षित यौन संबंध के कारण (तरल पदार्थ के रुप में बीर्य) - ब्यभिचारियों, बेश्याओं, वेश्यागामियों एंव होमोसेक्सुअल है।इसके अलावे संक्रमित सुई के इस्तेमाल किसी अन्य के साथ करने,संक्रमित रक्त चढाने  तथा बच्चों में मां के जन्म के समय 20 प्रतिशत का जोखिम और स्तनपान के समय 35 प्रतिशत का जोखिम रहता है एड्स के फैलने का। इस बिमारी के चपेट में आने पर एम्यूनी डिफेसियेंसी(रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम हो जाती है।जिससे मानव काल के ग्रास की ओर  बहुत तेजी से बढता  है। और अपने साथी को भी इस चपेट मे ले लेता है। अतः जरुरी है कि अपने साथी से यौन संबंध बनाने के समय सुरक्षक्षित होने के लिए कंडोम का प्रयोग अवश्य करें। सन 1981 में इसके खोज के बाद अभी तक 30 करोड से ज्यादा लोग काल के गाल में पूरी दुनिया में समा चुके हैं।

इसके लक्षणों में मुख्य रुप से लगातार थकान,रात को पसीना आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह पर सफेद धब्बे,,सुखी खांसी,लगातार बुखार रहना आदी प्रमुख हैं।
इस बिमारी को फैलने में भारत के ग्रामिण इलाके में गरीबी रेखा से नीचे ,अशिक्षा,रुढीवादिता,महँगाई और बढती खाद्यानों के दामों के कारण पापी पेट के लिए इस कृत(पाप) को करने पर उतारु होना पडता है। इससे बचने के लिए सुरक्षा कवच के रुप में कंडोम का उपयोग एवं साथी के साथ ही यौन संबंध बनायें रखना ही सर्वोत्म उपाय है ।
इसके साथ ही अपने शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने क लिए आयुर्वेद पद्धति अपनाना चाहिये। जिसमें गेंहू के ज्वारे, गिलोय, तुलसी के पते,बेल के फल का रस अपना के इससे लड़ा जा सकता है। इसके साथ ही साथ ही कुछ शारीरीक ब्यायाम –साइकिल चलाना,तैराकी करना, पैदल चलना,एरोबिक करने से भी इसे कम करने में मदद मिलेगी। होमियोपैथी में भी एमयुनी बढ़ाने की कई दवाये है। अमेरिका में इसके दवाई बनाने के लिए हुए कुछ परीक्षण में सफलता मिली है। बंदरो पर हुए टेस्ट में हमें कामयाबी मिली है।
यह अच्छी बात है पर अभी भी इसके लिए जागरुकता की सख्त जरुरत है।इसी क्रम में आम जन को जागरुक करने के लिए 1988 से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाते आ रहे हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व साहित्य टी.वी. संपादक हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *