जब से रेनू के देवर का रिश्ता तय हुआ था, रेनू के व्यवहार में एकदम परिवर्तन आ गया। देवरानी के लिए हो रही तैयारियों को देखकर उसके मन में जलन उत्पन्न होती। हर वक्त अपने समय की तुलना करती। घर में कलेश तक काटने लगती। उसका पति शाम को थका हारा घर आता। रेनू उसे तुरंत सिखाना पढ़ाना चालू कर देती।
घर का अच्छा भला माहौल अब खराब रहने लगा। गलती कुछ उसके ससुराल वालों की भी थी। उसकी होने वाली देवरानी रूप रंग में अधिक सुंदर थी इसलिए उसकी तारीफों के पुलन्दे भी अधिक बांधे जाते। रेनू इन बातों से भी आहत थी। होने वाली देवरानी के गोरे रंग के आगे उसे अपना गेहूंआ रंग काला नजर आने लगा। वह दिन प्रतिदिन हीन भावना से ग्रस्त होने लगी।अपने पति को रोज मायके जाने की धमकी भी दिया करती।
एक दिन उसका पति प्रभात ऑफिस से घर लौटा ही था रेनू शिकायतों का पिटारा खोल कर बैठ गई। पति शाम को या घर के पुरुष थके-हारे काम से लौट कर आए तो घर की स्त्रियों का यह फर्ज होता है की तुरंत शिकायतें ना परोसे। बाद में बैठकर आराम से भी तो बात की जा सकती हैं।
रेनू की अनर्गल बातें सुनकर आज प्रभात को बहुत ही गुस्सा आ गया। उसने रेनू से कहा,” जब तुम्हारे मायके में तुम्हारी बहन की शादी हुई थी तब तो तुमने कोई शिकायत नहीं कि अपने पिताजी से। तब तो तुमने यह नहीं कहा कि उसकी शादी में इतना पैसा क्यों लगा रहे हो मेरी में क्यों नहीं लगाया? मैं यह नहीं कह रहा कि हमें उनसे कुछ शिकायत है। मैं तो तुम्हारी परेशानियों का तुम्हें जवाब दे रहा हूँ। आज जब मेरे छोटे भाई की शादी हो रही है तो तुम्हारे पेट में क्यों दर्द है। बहने मेल से रहे तो उदाहरण दिए जाते हैं फिर हम भाइयों के रिश्ते क्यों खराब किए जाते हैं। तुम्हारे मायके में सबको इस बात का बड़ा गर्व है कि तुम सब बहन-भाइयों में बहुत मेल हैं फिर हम भाई-भाई का रिश्ता भी तो प्रेम का होता है। मात्र धन संपत्ति और तुलना और जलन की भावना को लेकर इस रिश्ते में इतना विद्रोह क्यों उत्पन्न हो जाता है और जो तुम मुझे रोज मायके जाने की धमकी देती हो तो तुम्हारी मर्जी। जाना चाहो तो जाओ। किसी के न होने से किसी का काम नहीं रुकता। मेरे भाई की शादी तो तुम्हारे बिना भी हो जाएगी। लेकिन घर में दरार और फूट डालने का काम कभी भी मत करना।
मेरा भाई मुझे मयंक 5 साल छोटा है। तुम्हें कितने प्यार से सारे दिन भाभी-भाभी कहता है तुम उससे होड़ कर रही हो। उसकी होने वाली पत्नी हमारे से कितनी छोटी है। रिश्ते बड़े प्रेम से निभाए जाते हैं। इन्हें इस तरह खराब मत करो।
अब रेनू की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। उसे अपनी ग़लती का अहसास होने लगता है। प्रभात का भी दिल पसीजने लगता है। प्रभात रेनू से कहता है,”रेनू प्लीज़ रो मत। मुझे तुम्हारा रोना देखा नहीं जाता।”
कमरे में हुए शोर को सुनकर घर के अन्य सदस्य भी अंदर आ जाते हैं। रेनू अपनी सास से माफी मांगने लगती हैं। उसकी सास तुरंत उसे गले से चिपका लेती है। रेनू की सास कहती हैं,”बेटा गलती मेरी भी रही। तुम दोनों मेरी घर की लक्ष्मी हो। एक घर में विराजमान है और दूसरी का हमें अभी स्वागत करना है। कभी भी अपने बच्चों की आपस में तुलना नहीं करनी चाहिए। कोई भी एक समान नहीं होता। सबके अंदर अलग-अलग गुण विराजमान होते हैं। छोटी-छोटी बातें बड़ी परेशानियों का सबब बन जाती हैं। घर-गृहस्थी,रिश्ते-नाते बड़े प्यार से सींचे जाते हैं।
अब रेनू का मन संभाल चुका था। प्रभात ने भी उसको गले से लगा लिया। अब रेनू का मन बहुत हल्का हो जाता है उसके मन से सारा द्वेष समाप्त हो जाता है। उसके अंतर्मन में उलझी हुई सब गांठे खुल जाती हैं।
रेनू सबके लिए चाय बनाने के लिए रसोई में जाने लगती है तो उसका देवर मयंक कहता है,”भाभी आप आराम से बैठो। आप सबके लिए चाय में बनाता हूँ।
मयंक के पिताजी कहते हैं,”आज इसके हाथ की एकदम फीकी चाय पीनी पड़ेगी। इससे तो अच्छी चाय हमारी बहु रेनू बनाती है। कम से कम शुगर लाइट तो डाल देती है।
उनकी बात सुनकर सब हँस पढ़ते हैं। घर का माहौल खुशनुमा हो जाता है।
प्राची अग्रवाल
खुर्जा उत्तर प्रदेश