जातिवादी आलोचकों को आजकल खुली छूट मिली है, आप कटु से कटु बोलिए आप संविधान के दायरे से बाहर है, आप सनातन को टारगेट कीजिये कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ेगा ! इस कड़ी में उदयनीधी स्टालीन, स्वामी प्रसाद मौर्य, इत्यादि के श्रेणी में एक नया नाम जुड़ा मनोज झा का। राज्यसभा में 21 सितंबर 2023 को आरजेडी राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए ठाकुरों पर कविता सुनाई थी। अब इस कविता को लेकर बिहार के राजपूत नेता नाराज हो गए हैं। उन्हीं की पार्टी के बाहुबली नेता आनंद मोहन ने कहा कि अगर मैं उस वक्त राज्यसभा में होता तो “उसकी जीभ खींचकर आसन की तरफ उछाल देता, सभापति की ओर। वहीं, आरजेडी के ही विधायक और आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। चेतन आनंद ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह मनोज झा के विचारों का पुरजोर विरोध करते हैं। बुधवार को उन्होंने फेसबुक लाइव किया और कहा- मनोज झा ब्राह्मणों पर कविता क्यों नहीं सुनाते हैं! राजद विधायक चेतन आनंद ने कहा कि वो जनता से माफी मांगे। हम चूड़ी पहनकर नहीं बैठेंगे। इधर, राजद ने अपने ट्विटर हैंडल से मनोज झा का भाषण शेयर करते हुए लिखा है-दमदार और शानदार भाषण। दूसरी ओर बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू ने कहा कि सांसद मनोज झा मेरे सामने ठाकुरों पर बयान देते तो पटक कर मुंह तोड़ देता। उन्होंने कहा कि मनोज झा को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए।
बिहारी सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में ठाकुरों पर कविता कही थी और इसको लेकर आनंद मोहन सिंह और उनके पुत्र सहित कई अन्य दलों के राजपूत समाज के नेता बेतुका और अपमान जनक बयान दे रहे हैं जो की निंदनीय है। बिहार साहित दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लोग हंसते हुए कटाक्ष करते हुए इन नेताओं के बारे में कहते हैं की प्रोफेसर मनोज झा क्यों भूल गए की वे दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपने विद्यार्थियों को नहीं पढ़ा रहे हैं जो उनकी भाषा और कविता के संदर्भ समझेंगे। दरअसल महिला आरक्षण बिल पर सदन में अपनी बात रखते हुए आरजेडी के राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने कहा था कि इस बिल को “दया भाव” की तरह पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि दया कभी अधिकार की श्रेणी में नहीं आ सकती है। आखिरी में उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता पढ़कर अंदर के ठाकुरों को मारने का आह्वान किया था “चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का। भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का। बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी, फसल ठाकुर की। कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के, गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या? संसद में बोले गए उपरोक्त बयान पर बाहुबली और जेल की सजा काट कर पूर्व लोक सभा सांसद आनंद मोहन 27 अप्रैल 2023 को जेल से रिहा हुए हैं। तब से वे राजनीति में सक्रिय हैं और अपनी खोई हुई राजनैतिक जमीन और हैसियत को फिर से हासिल करने में लगे हैं! आनंद मोहन ने कहा है कि की ” अगर मैं होता राज्यसभा में होता तो मनोज झा का जीभ खींचकर आसन की तरफ उछाल देता, सभापति की ओर उछाल देता और सदन के भीतर ही पटक कर इतना मारता की उनको पता चल जाता की वह बड़ा समाजवादी तो झा क्यों लगता है ये पहले अपने अंदर के ब्राह्मण को क्यों नहीं मरता है। रामायण में ठाकुर, महाभारत में ठाकुर, सभी कथा में ठाकुर। मंदिर में ठाकुर हैं कहां-कहां से भगाओगे। उन्होंने कहा कि मनोज झा ठाकुरों को विलेन बता रहे हैं। आपको ठाकुरों से एक एलर्जी है। दुनिया में इतनी सारी कविताएं हैं उन्हें इस्तेमाल कर लेते। आप ब्राह्मण हैं इसलिए आपने ब्राह्मणों के विरोध में कविता नहीं पढ़ी। आपके लोग आपको जीने नहीं देते, इसलिए आपने उनके खिलाफ कविता नहीं पढ़ी। चेतन आनंद ने कहा कि मुझे शर्म आती है राज्यसभा में बैठे हमारे जाति के लोग ये सब सुनते रहे। मैं सदन में रहता तो धरना देता, प्रदर्शन करता, चुपचाप नहीं सुनता। इसमें हमारे समाज के लोगों की गलती है जो अपने समाज को इतना कुछ सुन लिया। कुछ लोग पार्टी में रहकर ए-टू-जेड फॉर्मूला बिगाड़ना चाहते हैं। ऐसे लोग जो मुंह में आता है बक देते हैं! मनोज झा का बयान समाजवाद नहीं है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। चूड़ी पहनकर नहीं बैठेंगे, चुपचाप तमाशा नहीं देखेंगे। इसे हम पार्टी फोरम पर उठाएंगे। एक-दो जात को लेकर राजनीति नहीं होती। मनोज झा को पब्लिश के सामने माफी मांगनी चाहिए। मैं अपना नाम चेतन आनंद लिखता हूं.आप क्यों नहीं मनोज लिखते हैं झा क्यों लगाते हैं।जेडीयू प्रवक्ता सुनील कुमार सिंह ने कहा कि मनोझ झा को भारत के इतिहास में ठाकुरों का बलिदान नहीं पता है। बलिदान हमने दिया, सर हमने कटाया, सती हमारे घर की औरतें हुईं, जौहर किया, सब कुछ गंवा कर धर्म और देश की रक्षा की। उनको यह सब कौन समझाए। कविता किस प्रसंग में लिखी गई यह अलग विषय है। किसी ने तो यह भी लिखा है कि नाग को देखें और मैथिली ब्राह्मण को देखें तो पहले मैथिली ब्राह्मण को मारना चाहिए। ये उपयोग हो सकता है क्या? जदयू एमएलसी संजय सिंह ने कहा कि मनोज झा अपने को विद्वान प्रोफेसर कहते हैं, लेकिन वह महामूर्ख व्यक्ति हैं। उनकी डिग्री ही फर्जी है। उन्होंने कहा कि मनोज झा जिस प्रकार ठाकुरों पर बयान दिया है, वो कहीं से बर्दाश्त करने योग्य नहीं है! डॉ. सुनील कुमार सिंह , प्रवक्ता जेडीयू ने कहा कि ऐसा व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। ऐसे की शब्दों की वजह से राजद को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा था, क्या इससे भी सीख नहीं मिली! सुनील सिंह ने कहा कि मनोज झा अपने अंदर के ठाकुर की बात क्यों करते हैं, उनके अपने अंदर के ब्राह्मण को मारने की बात करते। जितनी बार मर्जी हो अपने अंदर के ब्राह्मण को मारे, इससे हमें क्या? कहा कि धर्म और जाति की भावना आहत नहीं करना चाहिए।आरजेडी प्रवक्ता बोले-बातों का मतलब लोग समझ नहीं पाए हैं और बकवास कर रहे हैं। चेतन आनंद के बारे में कहा कि जिसकी जितनी समझदारी है वह उतना ही समझ पाएंगे, किसी को किसी और चीज का दर्द है किसी को किसी और चीज का। जो शब्द का मर्म समझेगा वही सही व्याख्या कर सकता है। कोई अज्ञानी की गलत व्याख्या करेगा! पूर्व राज्य सभा सांसद और राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवा नंद तिवारी ने कहा है कि बगैर समझे हुए सांसद प्रोफेसर मनोज झा के उपर आनंद मोहन सिंह और उनके सुपुत्र सहित राजपूत समाज के अन्य पार्टियों के नेता भी बेकार का बवाल मचा रहे हैं । मनोज झा ने किसी जाति पर कुछ भी नहीं कहा है। वरिष्ठ राजद नेता तिवारी ने कहा है कि ये तो वही बात हुई की ” जा की रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी!”
-पंकज कुमार मिश्रा, मिडिया विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर, यूपी