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जीवन में बढ़ता हुआ “विकल्प “ सही या ग़लत ?

आधुनिक युग में जीवन में बढ़ता हुआ विकल्प चुनौतियां लेकर आता है ,
चुनौतियों को अस्वीकार करना ही जीवन संघर्ष बन जाता है और तब जीवन में विकल्प की कमी हो तब विकल्प ढूँढो ताकि जीवन में एक नए मौके मिलते
रहे ….क्योंकि नए मौके जीवन को नई उम्मीद के साथ जोड़कर जीवन को सफलता की ओर आगे बढ़ाता है ।
आज हम घर के बने हुए भोजन को नापसंद करके बाहर के खाने का विकल्प ,वस्त्रो की बात करे उसमे भी ढेरों विकल्प मिल जाते है चाहे कपड़े ,मेकअप,पढ़ाई ,करिअर आदि
आगे बात करते है युवा पीढ़ी मित्र से अनबन तो दूसरे और विकल्प मिल ही जाते है वैसे ही शादीशुदा पुरुष और महिला यदि आपसी मतभेद होते है तो घर से बाहर चाहे पुरुष हो या महिला हो ,उनके लिए भी विकल्प मिल जाते है जोकि उनके जीवन की प्यार से भर देता है ऐसे ही बाहरी रिश्ते को अपनाकर थोड़े समय की खुशियाँ मिल जाती है वापिस फिर घर लौटकर आना होता है ।
चाहे युवावस्था या वृद्धावस्था सभी के जीवन में दूसरी शादी के या लिव इन रिलेशनशिप के विकल्प बन जाते है ।
इस बदलते दौर में विकल्प की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है जोकि जीवन को आसान भी बना देता है कठिन परिस्थितिया भी पैदा कर देता है ,
हमे वास्तविकता को जानना चाहिए और सही निर्णय पर विचार करना चाहिए
कभी भी किसी भी रिश्ते में विकल्प नहीं होना चाहिए चाहे पति या पत्नी के ।
हम अपनी आधुनिक सोच के साथ साथ रिश्तों की कदर भी करनी चाहिए ।

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