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यम द्वितीया का पौराणिक महत्व

 भारत त्योहारों का देश है। हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का कोई ना कोई पौराणिक महत्व होता है ।सभी त्योहार किसी न किसी घटना से संबंधित होते हैं। कभी -कभी घटनाएं परंपराएं बन जाती है। सतयुग से कलयुग तक  हिंदू धर्म में कई परंपराएं आज भी ज्यों कि त्यों चली आ रही हैं।  आज भी लोग बड़े श्रद्धा भाव से त्योहार मनाते हैं।

 दीपावली बहुत ही आस्था और भक्ति भाव से मनाने वाला विषेष त्यौहार है। जिसे लोग लाखों वर्षों से मनाते आ रहे हैं।

दीपावली का त्योहार मुख्य रूप से पांच दिवस मनाया जाता है ।पहले दिन धनतेरस दूसरे दिन नरक चतुर्दशी तीसरे दिन दीपावली चौथे दिन अन्नकूट महोत्सव पांचवें दिन यमद्वितीया, भाई दूज।

 आज यमद्वितीया का पौराणिक महत्व बताने का प्रयास कर रही हूं ।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य की दूसरी पत्नी छाया के चार संतान थी। शनि, भद्रा,यम यमुना ।यम और यमुना जुड़वा भाई बहिन होने से दोनों में अधिक प्रेम था। युवावस्था होने पर एक बार यमुना के मन में भाई यम के प्रति काम भाव आ गया। यह बात यमुना ने भाई को बताई। तो यम ने देव सभा में बैठे अपने पिता सूर्य को सारी बात बताई।सभी देवताओं ने यम की सत्यवादिता एवं आत्मसंयम की प्रशंसा की एवं यम को धर्मराज के पद का उत्तराधिकारी बना दिया। जो मृत्यु लोक बासियो को कर्मानुसार स्वर्ग ,नर्क आदि की व्यवस्था करें। एवं सूर्य  अपनी पुत्री पर क्रोधित होते हुए बोले तूने मानसिक पाप करते हुए देवलोक को कलंकित किया है ।इसलिए तुम देवलोक में रहने के लायक नहीं हो। जाओ मृत्यु लोक में नदी बनकर रहो। तब यमुना के क्षमा मांगने पर वरदान दिया, द्वापर युग में भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण तुझे पति रूप में मिलेंगे।

 मृत्यु लोक में आने के बाद यमुना दुखी रहने लगी। अपने भाई को याद करते हुए पश्चाताप की अग्नि में जल रही थी ।एक बार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को यमुना ने भाई को निमंत्रण भेजा ।यम जो धर्मराज थे, वह बहन यमुना के घर आए ।यमुना ने प्रसन्न होकर उन्हें भोजन कराया ।तब यम ने पूछा बहन तुमने मुझे क्यों बुलाया है। मैं मृत्यु लोक में तभी जाता हूं, जब किसी मनुष्य के प्राण लेना हो।  यमुना ने कहा भाई मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी । तुम मेरे प्राण ले सकते हो।यम ने कहा मैंने तुम्हारे अपराध को क्षमा किया ।अब मैं तुम्हें वर देता हूं- जो बहन आज के दिन भाई को अपने घर बुलाकर भोजन करावेगी या भाई बहन दोनों यमुना नदी में आज के दिन स्नान करेंगे, उन्हें मेरे दर्शन नहीं होंगे। मैं उन्हें लेने नहीं आऊंगा ।उन्हें बैकुंठ से श्री हरि का विमान लेने आएगा एवं भाई बहन के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।

 तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।

यमद्वतिया भाई दूज के नाम से प्रसिद्ध हो गई। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी बहनें, भाई को निमंत्रण करके बुलाती हैं। तिलक लगाकर भोजन कराती हैं। यह त्यौहार भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार है।

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

हेमलता राजेंद्र शर्मा मनस्विनी, साईंखेड़ा नरसिंहपुर मध्यप्रदेश

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