
कविता और कहानी

होली में बिखरे रंग
होली में बिखरे रंग गुलालपीले हरे गुलाबी लालयमुना तट तरु तमाल होली खेले बृज नन्द लाल सखी सखा मिल किये धमालझूमे गायें मिलायें तालटेसू पीसें सुमन संभालरंगें केसरिया पट गाल पूजें गौरी गणेश चन्द्रभालनाचें काशी बूढ़े संग बालपीसें मेवा सिलबट्टा डालभाँग में दिये सभी घुटाललगाये भोग दर्शी त्रिकालमेवा मिठाई गुजिया थालआवन को है नव सालदिये बधाई मिल…

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की सभी महिलाओं को बहुत बहुत शुभकामनाएँ : सीमा शर्मा
हम महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज़ स्वयं उठानी है न कि मध्य संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है माँ अर्थात वार्ता के रूप में नारी की धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है न कि नारी को ईश्वर ने जन्मदात्री के रूप में उतारा है नारी ही…

वीआईपी कल्चर
बेटी के स्कूल का एनुअल फंक्शन था। रितिका जाना भी नहीं चाह रही थी लेकिन बेटी को प्राइस मिलना था इसलिए उसे जाना पड़ा। 6:00 से फंक्शन स्टार्ट था शाम को। इसलिए समय से ही चली गई। ऑडिटोरियम में चार लाइन कुर्सियों की वीआईपी के लिए रिजर्व कर रखी थी जिन पर सफेद कवर भी…

तांटक छन्द
दुख में दीनानाथ हमेशा, साथ खड़े हो जाते हैं। होते वही सहायक सबके, काम सभी के आते हैं। आता है जो जीव शरण में,भवसागर तर जाता है। दयासिंधु के धाम सहज ही, मानव वह जा पाता है। जपले हरि का नाम सखी री, माया एक झमेला है। चारदिनों का जीवन खाली, बस इतना ही खेला…

तुम फागुन ही फागुन हो
गूंथ लिया सारा बसंत अपने जूड़े में , मौसम कहता है तुम फागुन ही फागुन हो। होटों से लिपट लिपट मखमली हंसी तेरी, दूधिया कपोलों का चुंबन ले जाती है। झील के किनारों को काजल से बांधकर, पनीली सी पलकों में सांझ उतर आती है। महावरी पैरों से मेहंदी रचे हाथों तक, छू छू कर…

विवाह
विधा:-कविता युगल बिताने अपना जीवन, बंधन में बॅंध जाते हैं। हर विवाह की रीति यही है, पति-पत्नी कहलाते हैं॥ धर्म विधान मान्यता पालन, निज समाज का संग रहे। हक सह दायित्वों का संगम, पत्नी का पति अंग रहे॥ नहीं अनैतिकता का पोषक, सुखी शांति उद्देश्य रहे। अत्याचार कमी हो जीवन, मेल-जोल का भाव रहे॥ निर्वाहन…

बसंत : डॉक्टर सरला
आयो बसंत मधुमाह सखी , सब ओर सुहानी ऋतु छाई । वृक्षों ने नवपत्र किए धारण, कलियां धीरे से मुस्काईं । गीत सुनाती कोकिल देखो, भौंरे भी राग सुनाते हैं । अम्बर खुश है देखो कितना , देख धरा मुस्काई है । आयो बसंत मधुमाह सखी , सर्वत्र खुशी – सी छाई है । आम्रबौर …


वीणावादिनी नमोस्तुते
शारदे श्वेताम्बरावीणावादिनी नमोस्तुते शुभ्र मुकुट सरसिजश्वेतासनाविद्यादायिनी नमोस्तुते हस्ते पुस्तक स्फटिक माल्याशुभमति वरदे नमोस्तुते ब्रह्मा श्रीहरि रुद्र वन्दिताज्ञानदायिनी नमोस्तुते हरती तिमिर अज्ञान मूढ़तासृष्टि प्रकाशिनी नमोस्तुते पीत पुष्पमय पुलक वसंतादेवी सरस्वती नमोस्तुते | सीमा धूपरजबलपुर

सही परवरिश
बृजेश जी और उनकी पत्नी अनिता जी दोनों मिलजुल कर अपनी गृहस्थी चला रहे हैं। बृजेश जी एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरार हैं। स्कूल में भी बच्चों को अच्छी तरीके से पढ़ाते हैं बृजेश जी और अपने बच्चों पर भी उनकी परवरिश पर दोनों पति-पत्नी ने पूरा ध्यान दिया है। आज इन्हीं दंपति की मेहनत…