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उत्कर्ष मेल 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )

उत्कर्ष मेल (राष्ट्रिय पाक्षिक पत्र) 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )
14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के विशाल कार्यक्रम -राष्ट्रीय-प्रादेशिक एवं जिला स्तर पर सरकारी, गैरसरकारी तथा समितियों द्वारा आयोजित किए गये, जिनमें पार्टी बाजी से इतर सबने मिलजुल कर संविधान निर्माण में अहम भूमिका अदा करने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को नमन-वंदन करते हुए ठोस लोकतन्त्र की नींव रखने के पावन कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
वक्फ बिल में सरकार ने संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पास करवा लिया। बिल के संशोधन के बाद जो बातें उभर कर आ रही हैं उनका असर सब जगह समान नहीं दिख रहा। बंगाल में हालात कुछ ज्यादा बिगड़ गए या बिगड़ते नजर आ रहे हैं। सभी धर्म मानवता की राह पर चलने की बात कहते हैं। यही उनकी प्रेरणा और संदेश है कि प्राणी मात्र के लिए फिर न जाने एक गणित सब जगह एक सा काम नहीं करता। बंगाल में हालात बिगड़ने को लेकर कहीं से यह टिप्पणी आ रही है कि इन देशों में विदेशी हाथ होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं एक कारण और बताया जा रहा है जहाँ रही भाजपा की सरकार नहीं है इन प्रदेशों में विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है जिसका विरोध कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे देश में ईडी दफ्तरों के बारह प्रदर्शन करके दर्ज करा रही है। उनका एकमात्र कहना है कि सरकार उन स्वतंत्र जांच एजेंसियों को अपने दबाव में रखकर कार्य कराना चाहती है जो सर्वथा उचित नहीं है। क्योंकि यह चलन चला तो चलता ही रहता है। आज इसकी कल उसकी सरकार होती है। और अपनी अपनी बारी में सत्ता का दुरुपयोग करके न्याय व्यवस्था को स्वतंत्र जांच न करने देना हमेशा गलत ही होता है। आज आप उन पर, कल वो आप पर, ओर क्रम यूँ की चलता रहता है।
21वीं सदी की भागमभाव में मानवीय रिश्तों की नींव इतनी कमजोर हो गई है आए दिन कहीं निर्मम हत्या, कहीं आत्म हत्या देखने सुनने को मिल रही है और हम कारण ढूँढने को विवश होते जा रहे हैं कि जीवन मूल्यों में, पारिवारिक मूल्यों में इतनी कमी देखी जा रही है कि कब कौन किसको गच्चा दे जाए और बाकी सब देखते रह जाते हैं। खूब गहराई से पढ़ाया जाता था पहले सोचो फिर बोले Think before you speak कारण बिलकुल स्पष्ट था कि जब आप सोचते हैं तो इसके भावी परिणाम आँखों के सामने घूमने लगते हैं कि इस कार्य का क्या परिणाम या दुष्परिणाम होगा या हो सकता है। लेकिन भागमभाग में केवल आज और आज में अभी (यह भी व्यक्तित्व विकास का भी सूत्र है) लेकिन इस अधूरे सूत्र को लेकर चल पड़े हैं तो कार्य पूरा कैसे होगा। मतलब आज में अभी जो करना है कर दिया उसका परिणाम बिना सोचे और अपनी और अपनों की जिन्दगी खराब कर बैठते हैं। ऐसी चतुराई किस काम कि न घर के रहे ना घाट के।
16 अप्रैल 2025
मनमोहन शर्मा ‘शरण’

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