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उथल पुथल,

 हम अक्सर कहते हैं… इस दुनिया में इतनी उथल पुथल क्यों है कोई किसी की नहीं सुनता हर कोई अपनी राह चलता है…. कोई सामंजस्य नहीं है.. ज़रा सोचो.. हमारा शरीर भी तो हमारी दुनिया है.. क्या इसमें उथल पुथल नहीं होती हर अव्यय अपनी चाल चलता है.. मन कुछ कहता है , दिल कुछ…

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दुनिया में अलख जगाना है

जब  व्यक्ति  के  रग-रग  में, राष्ट्रीयता का  रक्त बहता है. वैसे  ही  नागरिक  का  देश, दुनिया का  नेतृत्व करता है. Doctor Sudhir Singh जहां का  एक-एक  आदमी, देशहित की  ही करता बात. सबका एक  ही रहता लक्ष्य, प्रत्येक  व्यक्ति  करे विकास. उस समृद्ध और शांत देश में, स्वर्ग का सब सुख उपलब्ध. आइए!  मिलकर  शपथ …

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नयन पिरो रहे अश्रु माल हैं !

कदम कदम पर साथ मिला औ , काँधे पर चढ़ना , इठलाना ! दूर दूर तक रखी निगाहें , पलकों में सब सिमटा आना ! दूर आपसे रहकर जाना , जीना भी सचमुच बवाल है !!  खेल कूद या खाना पीना , कैसे मस्ती में है जीना ! हार जीत कैसे पच जाये , कैसे…

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बिहार में मौत का तांडव

चमकी बुखार का कहर प्रकृति का भी असर तपती धरती बढ़ती गर्मी झूलसते लोग दवा वेअसर। सैकडो मासूमो को, नित कर रहा शिकार वेवस और लाचार, बन रही है सरकार। कई जिलों में धारा 144 लागू फिर भी नही मौत पर काबू। ऐ चमकी लीची से क्यों इतना प्यार हुआ तेरे प्यार को न समझ…

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हिंदी भाषा उसकी उपभाषाएँ और सम्बंधित बोलियां – सुशील कुमार शर्मा

भाषा संचार की जटिल एवं विशिष्ट प्रणाली प्राप्त करने और उपयोग करने कीक्षमता है।भाषा भगवान का दिव्य उपहार है। भाषा मनुष्य के रूप को पशुओं को अलग करती है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने कहा कि “भाषा मस्तिष्क का प्रकाश है” आज के युग में, एक या अधिक भाषा का बुनियादी ज्ञान महत्वपूर्ण हो गया है।…

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इतनी लम्बी उम्र मिली है , पर जीने का वक़्त नहीं – जय प्रकाश भाटिया

उम्र की सच्चाई इतनी लम्बी उम्र मिली है , पर जीने का वक़्त नहीं, रिश्तों की भरमार है पर रिश्तों का अस्तित्व नहीं , चेहरे पे मुस्कान सभी के, दिल में क्या है स्पष्ट नहीं, झूठी तारीफों के पुल पर , सच्चाई का वक्तव्य नहीं, जेब की दौलत लुटवाओ तो, यारों की है लाइन लगी,…

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किसान असमंजस में – शिवांगी

भारत के विभिन्न राज्यो में किसान आंदोलन के बाद भी किसानो की परेशानियां ख़त्म होती नही दिख रही हैं।हजारों रुपयो का प्रीमियम भरने के बाद भी किसानो को मुआवज़ा नही मिल रहा है।यहाँ किसानो का कई करोड़ का बीमा अटका हुआ है और सरकार की ओर से अभी तक कोई सर्वे शुरू ही नही किया…

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मध्यम कौन?

“मध्यमवर्ग” मध्यम कौन? जो बीच का हो ! या यूँ कहें दुल्हा दुल्हीन के बीच लोकनियाँ है ! समस्याँ मध्यवर्ग की सोच में नहीं उसकी सदियों से वटवृक्ष के समान फैली साखाओं में है जो जड़ कर चुकी! अंदर ही अंदर स्तंभ बनकर! वैसे ही मध्यमवर्ग कभी जरूरतों से आगे बढ़कर नयी चुनौतिओं का सामना…

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उम्मीद कभी न छोड़ना ( किरण चावला )

उम्मीद कभी न छोड़ना । अगर कश्ती भी डूब जाती है। कुछ तो बिखरता ही है । जब आँधियाँ निरतंर आती हैं । बंदे तू मुक़ाबला कर । अपनी हिम्मत और आस से । कभी भी न डगमगाना । खुद पर अपने विश्वास से । ( किरण चावला )

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