
कविता और कहानी
जीवन का सच
अजीब है दुनिया वालों का बड़प्पन, अपने अपने ना रह जाते, कुछ गैर अपने हो जाते, मुश्किल तो तब होता है, सामने प्रेम जताते हैं और पीछे से, साजिशों के पुल बांधते हैं। जुस्तजू जिंदगी की, बस यही कहना बाकी रह गया कहते है संस्कार जिसे, उसे भी बखूबी छला गया। प्रेम कैसा श्रृंगार कैसा,…
चतुराई काम ना आयी
राजीव के सब्जी मंडी में आते ही अचानक सब्जी बेचने वालों के बीच में खलबली मच गई।काफी समय से राजीव सब्जी मंडी आता है और हर सब्जी खरीदने में कुछ ना कुछ बहस बाजी करता ही रहता है। उसे देखकर अब सब्जी वाले समझ गए हैं कि इसे कितने भी रेट बता दो वह…
मैं क्या बोलूं
मैं क्या बोलूं दिल है व्याकुल, बच्चों की देखकर विकल दशा। ताला है लगा जुबां पर जैसे, लगभग दो सौ बच्चों को खोया है। मां की आंखों के बहते सागर में मेरे शब्द कहीं बह जाते हैं। खाई गहरी निर्धन व धनिक मध्य, मन जार जार कर रोता है । कुछ के पानी तक आते…
डिज़ीज़ फ़्री इँडिया
कविता मल्होत्रा शक्ति, पावर, सत्ता का, आजकल हर तरफ बोलबाला है एक दूजे से आगे निकलने की होड़, हर मन का निवाला है ये पश्चिमी सभ्यता के गहन प्रभाव का ही परिणाम है, कि आजकल समाज में विशिष्ट दिवस मनाने का प्रचलन है, जो तथाकथित आधुनिकता की देन है।कभी मातृ दिवस कभी पितृ दिवस…
दुनिया में अलख जगाना है
जब व्यक्ति के रग-रग में, राष्ट्रीयता का रक्त बहता है. वैसे ही नागरिक का देश, दुनिया का नेतृत्व करता है. Doctor Sudhir Singh जहां का एक-एक आदमी, देशहित की ही करता बात. सबका एक ही रहता लक्ष्य, प्रत्येक व्यक्ति करे विकास. उस समृद्ध और शांत देश में, स्वर्ग का सब सुख उपलब्ध. आइए! मिलकर शपथ …
नयन पिरो रहे अश्रु माल हैं !
कदम कदम पर साथ मिला औ , काँधे पर चढ़ना , इठलाना ! दूर दूर तक रखी निगाहें , पलकों में सब सिमटा आना ! दूर आपसे रहकर जाना , जीना भी सचमुच बवाल है !! खेल कूद या खाना पीना , कैसे मस्ती में है जीना ! हार जीत कैसे पच जाये , कैसे…
बिहार में मौत का तांडव
चमकी बुखार का कहर प्रकृति का भी असर तपती धरती बढ़ती गर्मी झूलसते लोग दवा वेअसर। सैकडो मासूमो को, नित कर रहा शिकार वेवस और लाचार, बन रही है सरकार। कई जिलों में धारा 144 लागू फिर भी नही मौत पर काबू। ऐ चमकी लीची से क्यों इतना प्यार हुआ तेरे प्यार को न समझ…