कविता और कहानी
गिरगिट ज्यों, बदल रहा है आदमी
गहन लगे सूरज की भांति ढल रहा है आदमी। अपनी ही चादर को ख़ुद छल रहा है आदमी॥ आदमी ने आदमी से, तोड़ लिया है नाता। भूल गया प्रेम की खेती, स्वार्थ की फ़सल उगाता॥ मौका पाते गिरगिट ज्यों, बदल रहा है आदमी। अपनी ही चादर को ख़ुद छल रहा है आदमी॥ आलस के रंग…
आईना सच्चाई का
महिलाओं की किट्टी पार्टी एक रेस्टोरेंट में चल रही थी। सभी महिलाएं घर से अच्छी तरह से तैयार होकर पार्टी करने के मूड से बैठी हुई थी। ठहाके लग रहे थे। सभी आपस में मित्र थी। मासिक पैसे देने का काम चल रहा था। एक महिला जो अपने को ज्यादा स्मार्ट बनती है सभी के…
ठंड के रंग बेढंग
लो फिर शीत ऋतु आ गई लो फिर शीत ऋतु आ गई। छाया सा है कोहरा कोहरा अंधियारा सा पसरा पसरा धुंधली सी धुंध छा गई। लो फिर शीत ऋतु आ गई । शाखों पर पंछी सहमें सहमे कोतूहल से बहमें बहमें क्यों दिन में रात आ गई। लो फिर सी ऋतु आ गई है।…
ठंड के रंग बेढंग
लो फिर शीत ऋतु आ गई लो फिर शीत ऋतु आ गई। छाया सा है कोहरा कोहरा अंधियारा सा पसरा पसरा धुंधली सी धुंध छा गई। लो फिर शीत ऋतु आ गई । शाखों पर पंछी सहमें सहमे कोतूहल से बहमें बहमें क्यों दिन में रात आ गई। लो फिर सी ऋतु आ गई है।…
ताटक छ्न्द : राम
राम नाम सबसे ही प्यारा, कहते सारे ज्ञानी हैं। जो भूला मूरख कहलाया, वही बड़ा अज्ञानी है। राम नाम की डोरी पकड़ो, मिलता सहज सहारा है। हाथ पकड़ कर जो भी रखते,भव से पार उतारा है। माया की नगरी यह दुनिया, लालच ने भरमाया है। चार दिनों का जीवन पाया, नहीं समझ क्यों पाया है।…
ब्यूटी पार्लर का कमाल (व्यंग्य)
मुझे कविताएं लिखने का बड़ा शौक था। कविताएं लिखने से ज्यादा सुनाने का शौक था। कविताएं सुनाने से ज्यादा कवि सम्मेलन में जाने का शौक था। कवि सम्मेलन में जाने से ज्यादा तालियां बजवाने का शौक था। और सबसे बड़ी बात भले ही हम साठ बसंत देख चुके थे पर तीस का दिखने का शौक…
दरकते रिश्ते
आगरा में बड़ी-सा मकान, पति ठेकेदार तथा बेटा प्राइवेट कम्पनी में लगा हुआ था। मकान वैसे तो सविता के पिताजी का था पर अब वही उसकी मालकिन थी। उसके पिता जी ने अपनी दोनों बेटियों में अपने जायदाद का बंटवारा इस तरह किया था की आगे चलकर दोनों के मध्य कोई भी मतभेद न…
कहानी : जिहाद से आजादी
डोली शाह रंग- बिरंगे फूलों की क्यारियां , बच्चों को झूलने के झूले, स्विमिंग पूल, मनोरंजन की सारी सुविधाएं ,वहीं लोगों में मधुरता के रस ,कूछ ऐसा था— अकबर पार्क रोड। यहां अक्सर घूमने वाली का तांता लगा रहता था। कुछ अंदर जाकर ही अकबर कॉलोनी जहां, क्या सनातनी ,क्या टोपी वाले —…