भारतीय जनमानस का चितेरा लोक कथाकार प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर “अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम” (साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था) के तत्वावधान में संस्था के अध्यक्ष श्री देवेन्द्रनाथ शुक्ल की अध्यक्षता एवं संस्थापक एवं महासचिव डॉ. मुन्ना लाल प्रसाद के संचालन में उनकी विभिन्न रचनाओं पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। सबसे पहले सिंगापुर से उपस्थित डॉ. लतिका रानी ने उद्घाटन गीत प्रस्तुत किया और प्रो. डॉ. अजय कुमार साव द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। अद्यतन के संपादक प्रो. डॉ. ब्रज नंदन किशोर, पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि प्रेमचंद ने निरंतर समाज एवं राष्ट्र की समस्याओं को अपने लेखन का आधार बनाया है। वे अपने समय को बड़े ही सूक्ष्म रूप से भीतर और बाहर से देख रहे थे। इसीलिए वे उस समय भी प्रासंगिक थे और अभी भी प्रासंगिक हैं।
इस वेबिनार में देश-विदेश के विद्वानों द्वारा प्रेमचंद की विभिन्न रचनाओं पर बहुमूल्य वक्तव्य रखे गये। प्रमुख रूप से जिन वक्ताओं ने जिन विषयों पर अपने वक्तव्य रखे उनमें से “प्रेमचंद के साहित्य में ग्रामीण जीवन”- प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी, निदेशक, हिन्दी यूनिवर्स फाउंडेशन, निदरलैंड, “प्रेमचंद के नारी पात्र गबन के संदर्भ में”- डॉ. मौना कौशिक, भारत विद्या विभाग, सोफ़िया विश्वविद्यालय, बुल्गारिया, “उजबेकिस्तानी लेखक अब्दुल्ला कह्हार के “चोर” और “गोदान” के होरी के जीवन का एक दिन : तुलनात्मक अध्ययन” – प्रो. डॉ. उल्फत मुहिबोवा, उजबेकिस्तान, “प्रेमचंद के साहित्य में लोकचेतना”- प्रो. डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी, दक्षिण एशियाई भाषा व संस्कृति विभाग, क्वांगतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय चीन, “प्रेमचंद की सांस्कृतिक चेतना”- प्रो. डॉ. विनोद मिश्र- त्रिपुरा विश्वविद्यालय, अगरतला, त्रिपुरा, “प्रेमचंद की भाषा दृष्टि” – डॉ. अमरनाथ शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष, कलकत्ता विश्वविद्यालय, “महाजनी सभ्यता और वर्तमान संदर्भ” – डॉ. मोतीलाल मौर्य, प्रयागराज, डॉ अलका अरोडा देहरादून आदि विद्वानों के नाम शामिल हैं। अंत में डॉ. ओमप्रकाश पांडेय के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन किया गया।
इस कार्यक्रम से श्री जय प्रकाश अग्रवाल, नेपाल, स्नेहलता शर्मा, लखनऊ, डॉ. भीखी प्रसाद “वीरेन्द्र” सिलीगुड़ी, श्री मुकेश ठाकुर, कालिंपोंग, श्री राज कमल, प्राचार्य, रेलवे हाई स्कूल, अलीपुरद्वार’ कमला तामंग, मिरिक, श्री मनोज कुमार वर्मा, सीवान, श्रीमती विद्युत प्रभा चतुर्वेदी ‘मंजु’, देहरादून, श्री रमेश माहेश्वरी राजहंस, बिजनौर, श्री विधु भूषण त्रिवेदी, श्री शारदा प्रसाद दुबे, ‘शरतचंद्र’ थाणे, मुंबई, श्रीमती भावना सिंह, (भावनार्जुन) बुलंदशहर, श्रीमती पुतुल मिश्रा, गुंजन गुप्ता, इंद्रजीत कौर, श्री मोहन महतो, सिलीगुड़ी, रे. फा. अभय किशोर कुजूर, अलीपुरद्वार, वंदना गुप्ता, दार्जिलिंग, श्री महेंद्र पुगलिया, कूचबिहार के अलावे देश के विभिन्न प्रांतों से काफी संख्या में साहित्यकार जुड़े हुए थे।