मँद न होने पाए लौ आज़ादी के हुस्न ओ जमाल की प्रीत की डोर से बँधी रहे कलाई हर माँ के लाल की
मँद न होने पाए लौ आज़ादी के हुस्न ओ जमाल की प्रीत की डोर से बँधी रहे कलाई हर माँ के लाल की वो कितना खूबसूरत नज़ारा होगा जब समस्त भारत बिना किसी भेदभाव के एकता की डोर से बँधा हर लम्हा आज़ादी का जश्न मनाएगा।लेकिन क्या एैसा सँभव है? जी हाँ अगर शिव जी…