Latest Updates

मझधार मे कांग्रेसी नैया !

बुधवार को अचानक राहुल गांधी के ट्वीट ने सियासी गलियारे मे हलचल पैदा कर दी । राहुल गांधी के  कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे  के औपचारिक घोषणा ने हालांकि किसी को चौकाया तो नही पर उनके द्वारा ट्वीट किये गए कारणों ने राहुल की जमकर किरकिरी करा दी । लोकसभा चुनाव के बाद से अपने…

Read More

मेरी माँ

पुनीता शुक्ला अगर तुम न होती न होते हम तुम्हारे वजूद से ही बने हैं हम न होती ये सांसे, न होता ये दिल, न दिल कि ये धड़कन न होते हम अगर तुम न होती ——- अपनी दुवाएं और ये आँचल आँचल में लिप्त हुआ ये प्यार न छोड़ देन इसे कभी, विनती करूँ…

Read More

ब्रिक्स एवं एस सी ओ देशों के सम्मेलन में चारू त्यागी ने किया भारत का प्रतिनिधित्व

ब्रिक्स एवं एस सी ओ देशों के  अंतर्राष्ट्रीय युवा सम्मेलन का आयोजन  रूस में 4 से 9 जून तक किया गया जिसमें गंतव्य संस्थान की कोषध्यक्ष सुश्री चारु त्यागी एवम युवा सचिव सुश्री सुकृति त्यागी ने भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया , अन्य प्रतिभागियों में ध्वनि जैन, लक्ष्य कालरा, दक्ष गोयल, हर्ष सिन्हा,शशांक बानी…

Read More

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएं*

राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित” शिक्षक एवम साहित्यकार    परिवार में जिनकी आयु साठ वर्ष हो गए या जिनकी सेवानिवृति हो गई। वे वरिष्ठ नागरिक कहलाते हैं। वरिष्ठ जन ही परिवार की नींव होती है। लेकिन आज की पीढ़ी वरिष्ठ के साथ रहना पसन्द नहीं करते। वे एकल परिवार में स्वतंत्रता के साथ रहना चाहते हैं। किसी…

Read More

जीवन का सच

अजीब है दुनिया वालों का बड़प्पन, अपने अपने ना रह जाते, कुछ गैर अपने हो जाते, मुश्किल तो तब होता है, सामने प्रेम जताते हैं और पीछे से, साजिशों के पुल बांधते हैं। जुस्तजू जिंदगी की, बस यही कहना बाकी रह गया कहते है संस्कार जिसे, उसे भी बखूबी छला गया। प्रेम कैसा श्रृंगार कैसा,…

Read More

चतुराई काम ना आयी

राजीव के सब्जी मंडी में आते ही अचानक सब्जी बेचने वालों के बीच में खलबली मच गई।काफी समय से राजीव सब्जी मंडी आता है और हर सब्जी खरीदने में कुछ ना कुछ बहस बाजी करता ही रहता है।          उसे देखकर अब सब्जी वाले समझ गए हैं कि इसे कितने भी रेट बता दो वह…

Read More

विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष (11 जुलाई)

लाल बिहारी लाल । सन 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार गई तभी से सारी दुनिया में जनसंख्या रोकने के लिए जागरुकता की शुरुआत के क्रम में 1987 से हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाते आ रहे हैं।      आज सारी दुनिया की 90% आबादी इसके 10% भू भाग…

Read More

मैं क्या बोलूं

मैं क्या बोलूं दिल है व्याकुल, बच्चों की देख‌कर विकल दशा। ताला है लगा जुबां पर जैसे, लगभग दो सौ बच्चों को खोया है। मां की आंखों के बहते सागर में मेरे शब्द कहीं बह जाते हैं। खाई गहरी निर्धन व धनिक मध्य, मन जार जार कर रोता है । कुछ के पानी तक आते…

Read More

डिज़ीज़ फ़्री इँडिया

कविता मल्होत्रा शक्ति, पावर, सत्ता का, आजकल हर तरफ बोलबाला है एक दूजे से आगे निकलने की होड़, हर मन का निवाला है ✍️ ये पश्चिमी सभ्यता के गहन प्रभाव का ही परिणाम है, कि आजकल समाज में विशिष्ट दिवस मनाने का प्रचलन है, जो तथाकथित आधुनिकता की देन है।कभी मातृ दिवस कभी पितृ दिवस…

Read More

उथल पुथल,

 हम अक्सर कहते हैं… इस दुनिया में इतनी उथल पुथल क्यों है कोई किसी की नहीं सुनता हर कोई अपनी राह चलता है…. कोई सामंजस्य नहीं है.. ज़रा सोचो.. हमारा शरीर भी तो हमारी दुनिया है.. क्या इसमें उथल पुथल नहीं होती हर अव्यय अपनी चाल चलता है.. मन कुछ कहता है , दिल कुछ…

Read More