Latest Updates

अखबार के रंग, चाय की चुस्कियों के संग

उर्दू भाषा का शब्द अखबार आज हर घर की जरूरत है। घर-घर में चाय की चुस्कियांँ लेकर अखबार पढ़ा जाता है। अखबार होता है, जादुई पिटारा। जो देता है हमें बारीक से बारीक खबर। समाचार, खेल, मनोरंजन, साहित्यिक, टेक्नोलॉजी सभी को समेटे होते हैं आज के अखबार।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने चाहे कितना भी कब्जा क्यों ना जमा लिया हो?

अखबार अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हमें खबर तुरंत प्राप्त हो जाती है फिर भी हम अगले दिन इंतजार करते हैं अखबार का,सारी खबर को बारीकी से जानने के लिए।

अखबार में खबरों को इतनी बारीकी से प्रकाशित किया जाता है कि मन में तसल्ली हो जाती है कि अब हमने संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया है।

15 अगस्त, 26 जनवरी, होली,दिवाली की छुट्टी लेने वाला अखबार अगले दिन में नहीं आता तो अपने खालीपन के एहसास से हमें रूबरू करा जाता। उस दिन बड़ी बेचैनी होती है कि आज अखबार नहीं आया। अखबार को बहुत मिस किया जाता है जिस दिन वह नहीं आता।

अखबार में पाठकों की पसंद के हिसाब से हर वर्ग का ध्यान रखा जाता है। बच्चों से लेकर बूढ़े, कामकाजी महिलाओं से लेकर घरेलू महिलाएं अपनी पसंद की सामग्री ढूंढ ही लेती हैं।

मोबाइल फोन के बढ़ते चलन ने प्रिंट मीडिया पर प्रभाव तो डाला है परंतु अखबार अपना दबदबा अभी भी बनाए हुए हैं।

कागज पर छपने वाला अखबार कीमत के हिसाब से देखो तो लागत भी ना निकाल पाए। किंतु विज्ञापन और इश्तिहार से प्राप्त आमदनी सामंजस्य स्थापित करवा देती है।

अखबार के सहारे कितने हैं लोगों को रोजगार प्राप्त हो जाता है।

हमारे भारत की कुशल ग्रहणियाँ अखबार पढ़ने के बाद उनका इस्तेमाल रसोई में भी बखूबी करती हैं। कपड़ों की अलमारियों में भी तह लगाने के काम आता है अखबार।

फिर सारे महीने के अखबार इकट्ठे कर रद्दी वाले को बेच चाट पकौड़े की पार्टी भी करवाता है अखबार।

अखबार से जो हमें जानकारी प्राप्त होती है, ज्ञान प्राप्त होता है, वह अधिक स्थाई होता है, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में।

कॉम्पिटेटिव एक्जाम्स की तैयारी कर रहे हैं बच्चों के लिए मील का पत्थर साबित होता है अखबार।

अंग्रेजी भाषा के अखबार भारत में लोगों को भाषा सीखने में भी मदद करते हैं।

अखबार पढ़ने से भाषा व उच्चारण की शुद्धता व व्याकरण ज्ञान मजबूत होता हैं।

कभी-कभी बहुत दुखद घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं। मन में विश्वास उत्पन्न होता है। पर अखबार का काम है सच्चाई को दिखाना। आज जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जाते हैं अब हमारा अखबार पारदर्शिता के पैमाने पर खरा उतरता है।

यह बिकता तो बाजारों में है, पर अपना ज़मीर नहीं बेचता।

प्राची लेखिका

 खुर्जा उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *