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अधिकारों की अहवेलना कितना जायज !

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आपने चुनावों के वक्त  देखा होगा कि बातों और वादों  का मश्रफ क्या होता है !  चुनाव आने से पहले और चुनाव बीत जाने के छ माह बाद दो आपसी आभासी मित्र  फेसबुक पर वैचारिक मतभेद प्रकट करते दिख जाते है ,यहां तक कि गाली गलौज भी कर लेते है और तो और आपसी संबंध भी बिल्कुल खट्टा कर लेते है  । क्या आपने  कभी अलग-अलग दो दलों के कट्टरों को आमने – सामने  भिड़ते देखा है? चिंता न करें, मैं उनके भाषाई स्तर की बात नहीं करूंगा, सिर्फ नतीजे की बात करूंगा, मेरे एक सहयोगी शिक्षक  मित्र है कुछ भी कह लीजिए वो आपकी बात जरूर काटेंगे , अगर आप आम को आम कहेंगे तो वो साहब कहेंगे नहीं इमली है क्युकी बी जे पी बोल रही , योगी जी बोल रहे ,आंकड़े पक्ष में ऐसे पेश करेंगे जैसे संसद में बैठे हो ।  बंगाल में भी ऐसा ही दिलचस्प मामला सामने आया है। बीजेपी के सांसद सौमित्र खान की बीवी सुजाता मंडल ने टीएमसी ज्वाइन की तो सौमित्र ने तलाक का नोटिस भेज दिया। सौमित्र खान विष्णुपुर सीट से सांसद हैं। वैसे मज़ेदार बात ये भी है कि बीजेपी में आने से पहले सौमित्र भी तृणमूल में ही थे, जिसमें बीवी सुजाता के जाने की पारिवारिक आपदा को व्यक्तिगत अवसर में बदलने का मौका बना लिया वर्ना एक ही परिवार के दो लोगों के अलग-अलग दलों में रहना कोई अप्रत्याशित बात नहीं होती। मां विजयाराजे भाजपा में थीं और बेटे माधवराव कांग्रेस में। ये सब राजनीति में चलता रहता है खैर ,तृणमूल के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट किया कि बीजेपी दो अंकों को पार नहीं कर पाएगी। ट्वीट अंग्रेजी में था और अंग्रेजी में बहुतेरे लोगों की समझ थोड़ी तंग होती है तो आधे ने इसका अर्थ ये निकाला कि दिल्ली की तरह 10 सीटें नहीं छू पाएंगी और जो समझ पाए, उन्होंने ही 99 समझा। बंगाल में 294 सीटें हैं, बहुमत के लिए चाहिए 148 और चुनाव से पहले ही पीके ने कम से कम 99 सीटें बीजेपी की पहुंच में बता दी तो ममता का भड़कना स्वाभाविक था। ममता ने पीके की भविष्यवाणी पर नाराज़गी जताई है, ऐसी ख़बरें भी आईं। अब आप सोच रहे होंगे कि पीके नेता तो हैं नहीं और एजेंसियों की ओर से ऐसे दावे किए नहीं जाते क्योंकि उनका काम पर्दे के पीछे होता है तो इसका आधार है लोकसभा चुनाव।

               लोकसभा में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में जिन विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी, उन्हें अगर विधानसभा सीटों में कन्वर्ट करें तो ये आंकड़ा बैठता है 110, पीके ने ममता बनर्जी के लिए इन्हीं 110 सीटों पर मुख्य रूप से फोकस किया है और उन्हें लग रहा है कि वो ज़मीनी रूप से इनमें से 15 में तृणमूल को बढ़त दिलाने जा रहे हैं, ये उनके दावे का आधार है। आगे पीके ने अपने ट्वीट में ये भी कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ, यानी बीजेपी ने 99 पार कर लिया तो तृणमूल फंस जाएगी ,वैसे उनके आकलन का ये आधार सही है या गलत, ये बंगाल की जनता तय करेगी, मैं यहां  ये नहीं बता सकता कि आगे क्या नौटंकी होने वाली है किन्तु ये ज़रूर अनुमान लगा सकता हूं कि 10 साल के शासन के बाद एंटी इन्कमबेंसी बंगाल में निश्चित रूप से है, शाह की रैली में जबर्दस्त भीड़ भी है, कांग्रेस और लेफ्ट के खात्मे के बाद सीधी लड़ाई बीजेपी और टीएमसी में है, बंगाल में हिंदू-मुसलमान भी चुनावी एजेंडे में है, टीएमसी की टीम टूटकर बीजेपी में मिलती जा रही है तो एडवांटेज़ बीजेपी की दिख रही है। शाह ने कहा भी है कि चुनाव तक ममता अकेली रह जाएंगी और ममता बेबस नज़र आ भी रही हैं।

            अब बात किसान आंदोलन की, जहां नौटंकी  शुरू कर दी गई है। जो जहां जमे हैं,  वहीं क्रमिक अनशन पर हैं। एक आंदोलनकारी किसान से बात हो रही थी, मैंने कहा कि जब सरकारी मंडी खत्म नहीं होगी तो आपलोग आंदोलन क्यों नहीं खत्म कर देते? किसान का जवाब था हम ये सब नहीं जानते बस बिल वापिस लो । मैंने समझाते हुए कहा कि जिओ  के आने के बाद सरकारी बीएसएनएल ख़तम हुई क्या या एयरटेल या आइडिया  की हालत खराब आपको दिखी? एयर इंडिया बिक रही है और प्राइवेट कंपनी हवाई जहाज खरीद रही है तो क्या रोजगार पर असर पड़ा क्या ? मैंने:किसान भाई से  पूछा-ये आपको कांग्रेसियों ने बताया है क्या कि मोदी जी का विरोध करिए ? किसान ने कहा-आप भाजपाई पत्रकार हैं क्या? मैंने कहा-मैं पत्रकार तो हूं लेकिन उससे पहले गांव की मिट्टी से जुड़े  किसान परिवार का हूं और उसी हैसियत से बस आपसे बात कर रहा हूं, कोई दिखाने या छापने के लिए नहीं कर रहा हूं। मैंने पूछा कि ज्यादातर किसान संगठन तो कृषि कानून के समर्थन में हैं, सिर्फ पंजाब वाले ही विरोध में हैं। जवाब था-सब साथ आएंगे और जबतक नहीं आएंगे हम नहीं जाएंगे। मैंने कहा कि भाजपाई तो कह रहे हैं कि आप पिज्जा-बर्गर खाने वाले दिहाड़ी पर लाए गए किसान हैं, तो थोड़ा चिढ़कर बोला -हां अंबानी और अडाणी पिज्जा खिलवा रहा है, आपको भी खाना है क्या? मैंने कहा कि मोदी जी तो अरदास करने गए थे, जवाब था-मत्था टेकने में क्या दिक्कत है, हमारी लड़ाई गलत कानून से है, मोदी जी से नहीं है। इसलिए थोड़ा संयम बनाए रखे ,नया आंग्ल वर्ष प्रारंभ हो चुका है ,लोग टकटकी लगाए बंगाल की तरफ देख रहे ।                ____ पंकज कुमार मिश्रा ( एडिटोरियल कॉलमिस्ट पत्रकार एवं शिक्षक ,केराकत जौनपुर

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