राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
शिक्षक एवम साहित्यकार
परिवार में जिनकी आयु साठ वर्ष हो गए या जिनकी सेवानिवृति हो गई। वे वरिष्ठ नागरिक कहलाते हैं। वरिष्ठ जन ही परिवार की नींव होती है। लेकिन आज की पीढ़ी वरिष्ठ के साथ रहना पसन्द नहीं करते। वे एकल परिवार में स्वतंत्रता के साथ रहना चाहते हैं। किसी की बात मानने के लिए वे बाध्य नहीं होना चाहते। आज वरिष्ठ जनों की ये पारिवारिक समस्या बहुत अहम है। उनका अकेलापन उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। जीवन के अंतिम पड़ाव में जब इनके हाथ पाँवों में ताकत नहीं रहती ऐसे समय मे परिवार से अलग रहकर भोजन बनाना अपनी संतान से अलग रह जीवन जीना बहुत कठिन हो जाता हैं। कई बीमारियों से वरिष्ठ जन परेशान ग्रसित रहते हैं। बेटे बहु उनको इलाज के लिए रुपये तक नहीं देते। बहुत कम पेंशन से दवाई खर्च,किराना खर्च सब करना होता है।
पेंशन के बाद परिवार के साथ रह रहे बुजुर्गों को भी उचित मान सम्मान नहीं मिलता। वे रोज प्रताड़ित व अपमानित होकर भी ऊपरी हँसी से जी रहे हैं। नई पीढ़ी से उनके विचार नहीं मिलते। नई पीढ़ी का डेली रूटीन अलग होता है। खाने पीने के ढंग अलग होती है। फ़ास्ट फ़ूड ज्यादा पसंद करते हैं। चरपरे खाने में रुचि होती है। पुराने लोग सादा भोजन उच्च विचार रखते हैं। आजकल महिलाएं किटी पार्टी करती हैं। आज के बच्चे बर्थ डे पार्टी, आदि करते हैं। मोमबत्ती जलाते है फूंक देकर बुझाते हैं। ऐसे जन्मदिन मनाया जाता हैं। हम पश्चिम का अंधानुकरण करने लगे हैं।
वरिष्ठ नागरिक शारिरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं। लकवा,डायबिटीज,जैसे रोग उन्हें घेर लेते हैं। फिर भी वे घर के सारे काम करते हैं। सब्जी लाना,बच्चों को स्कूल लाना ले जाना बिजली,पानी के बिलों को जमा करने के लिए कतार में लगना
वरिष्ठ जन बहुत अनुभव रखते हैं । परिवार में वरिष्ठ हैं तो घर की रौनक बढ़ जाती है। वे मार्गदर्शक होते हैं।इसलिए वरिस्ठ का सम्मान करना चाहिए। यदि वे आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं तो उनकी मदद करनी चाहिए।
आज कुछ बैंक ऐसी भी है जो 0.5 प्रतिशत ब्याज वरिष्ठ को ज्यादा देती है। सम्मान करती है।
सिर्फ पेंशन से परिवार नहीं चलता। आज की पीढ़ी वरिष्ठ को बोझ समझती है। यदि उनकी पेंशन मिलती है तो देखरेख करते है । और पेंशन न मिले तो माता पिता बोझ लगने लगते हैं। आज की पीढ़ी उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचा देती हैं। कई परिवार में मां एक भाई के पास व पिताजी दूसरे भाई के साथ रह रहे हैं। ऐसा बंटवारा कर लिया। जब दोनों पति पत्नी जीवन भर साथ रहे अब बुढ़ापे में अलग अलग रहना पड़ रहा है। ये सब सोच क्यों बदली लोग रिश्तों को कम धन को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। संयुक्त परिवार आज नहीं मिलते। एकल परिवार हो गए। हम दो हमारे दो। बाकी मेम्बर गो। नारे लग रहे हैं।
आज वरिष्ठ जन समस्या ग्रस्त है। कई समस्याएं है।कारण व्यक्तिवादी हो गए लोग। व्यक्तिगत स्वार्थ पूरा करने की होड़ लगी है। भौतिक सुख सुविधाओं में उलझ गए सारे। नई व पुरानी पीढ़ी कर बीच दूरियां बढ़ रही है।
आज वरिष्ठ नागरिक शारिरिक समस्या, मानसिक समस्या ,स्वास्थ्य की समस्या, आर्थिक समस्या, पारिवारिक एवम सामाजिक समस्या अकेलेपन की समस्या घर व समाज के अनादर की समस्या परावलम्बन जैसी खास समस्याओं से ग्रसित हैं।
– राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
शिक्षक एवम साहित्यकार
(राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी)
साहित्य संगम संस्थान दिल्ली
98 पुरोहित कुटी,श्रीराम कॉलोनी
भवानीमंडी ,जिला – झालावाड, राजस्थान ,पिन-326502