सर्वप्रथम आप सभी को दशहरा पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं । प्रत्येक वर्ष अपने पर्व–त्यौहारों को श्रद्धापूर्वक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं । अच्छी बात है किन्तु ज्यादा जरूरी यह है हमारे लिए कि पर्वों–त्यौहारों को मनाएँ पर उसके महत्त्व–महिमा को समझने का प्रयास करें और अपनी जीवन शैली में आत्मसात करने का प्रयास करें तभी सही अर्थों में सार्थक होगा ।
10 अवगुणों को हरना (दशहरा) -जब हम अपने भीतर के 10 अवगुणों को हरते हैं, हराते हैं तभी सही अर्थों में हम दशहरा मनाते हैं । वे दस अवगुण — काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी है । असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है दशहरा पर्व ।
आज 21वीं सदी की भागमभाग में सभी के पास समय कम है और अपेक्षाएँ बहुत अधिक हो गई हैं । और अधिक पाने की लालसा, इसकी पूर्ति हेतु मार्ग कोई भी अपनाना पड़े । दूसरी बात यदि आप बहुत अधिक प्राप्त कर लेते हैं तब उसे पचाने के लिए आपका पाचन तन्त्र् मजबूत होना आवश्यक है अन्यथा सही लिखा है — प्रभुता पाई काहि मद नाहीं––, किसी के पास बहुत अधिक धन–दौलत और माया है, अच्छी बात है, आसमान में उड़ते हैं, अच्छी बात है, प्रभु कृपा है किन्तु अपने पाँव जमीन पर अवश्य रखें अन्यथा कहीं दौलत का नशा, कहीं पद–प्रतिष्ठा–शौहरत का नशा । और हम जानते हैं कि जब व्यक्ति में किसी भी प्रकार का नशा होता है तब वह विवेकहीन हो जाता है और गलती पर गलती करने लग जाता है । एक बात और, हम नशे में यह बिलकुल स्वीकार नहीं करते कि हमारे साथ कुछ गलत हो सकता है अर्थात् हमारी पहुँच बहुत ऊँची है, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता । पर हम यहाँ यह भूल जाते हैं , जो सर्वेसर्वा है, सर्वोच्च है, सर्वोपरि अर्थात् ईश्वर है — हम जिस भी रूप में उसे मानते हैं, उसकी नजर में न्याय अवश्य मिलता है । गलत किया है तो गलत भुगतना ही पड़ता है, गाने के बोल हैं — बुरे काम का बुरा नतीजा, हां भई चाचा–––––’ अर्श से फर्श पर आने में चंद मिनट भी नहीं लगते । आर्यन खान डर्ग्स मामले में और दूसरी ओर किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर निडरता से हत्या कर देने पर आपको मुसीबतों का सामना तो करना ही पड़ेगा – बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय––– 100 बात की एक बात यह है कि ईश्वर से प्रेम करें, ईश्वर की लाठी से डरें भी, जो सबसे बड़ा न्यायधीश है––––––––शेष सब कुशल ही होगा––––