पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक / पत्रकार जौनपुर यूपी
रूस ज़ब सीरिया के मुंह में सरिया घुसाए देश भर को शांति का पाठ पढ़ा रहा था वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश आ बैल मुझे मार की तर्ज पर खुद का ही उड़ता तीर अपने ऊपर लें लिया है। श्रीलंका की ज़ब लंका लगी थी तब चीन बड़े मजे से भारत की बुराई कर रहा था पर अचानक जब खालिस्तान नें खाली पीली पाकिस्तान की लाल पीली कर दी तब चीन भी हड़बड़ा कर जाग गया। लेबनान को इसराइल ने ले बना नानवेज कर दिया और चिपका लें हमें तंदूर से वाला गाना बजा दिया। लेबनान जहाँ कभी ईसाई और मुस्लिम साथ रहते थे। वहाँ के समुद्र तट पर आपको शायद ही कोई बुर्के में दिखता हो और वहां ना कोई फतवा जारी हुआ पर अब हाँ बिकनी सामान्य थी। आज भी आप दुनियाँ भर में जाएँ मध्य एशियाई भोजन के रेस्टोरेंट और बार आपको लेबनानी चलाते मिल जायेंगे अफ़्रीकी देशों में शराब के कारोबार पर उनका तगड़ा हाथ है। फिर शुरू हुआ इजराइल से दुश्मनी का दौर ईरान में इस्लामिक सत्ता पर कट्टरपंथी आये। उनका प्रभाव शिया बहुल देशों में पनपा, लेबनान में हिज़बुल्लाह नाम की बीमारी जम गयी और फिर ईरान के पालतू लड़ाके आर या पार कर गए बाबू भईया। लेबनान में मूल लेबनानी कल्चर ही ख़त्म हो लिया और फिर इजराइल पर हमास का हमला हिजबुल्लाह ने आका के कहने पर पड़ी लकड़ी उठा ली । आज हिजबुल्लाह के इजराइल ने बैंड बजा डाली है और उसके साथ बज रही लेबनानी पीपनी । इतिहास गवाह है मज़हबी कट्टरपंथियों ने आज तक सिर्फ और सिर्फ तबाही ही दी है समाज को। उधर हमारे पड़ोसी रोज द्वार पर झाड़ कर अपने यहाँ का कूड़ा लगा देता। हम ठहरे बिलकुल गाँधी बाबा टाईप, उस कचरे को मुस्कुरा कर उठाते और डस्टबिन में उड़ेल देते। कुछ न कहते। हमारे अंदर हाफ रागा की आत्मा का निवास हो गया। कोई गुस्सा नहीं, बस मोहब्बत की दुकान खोलकर पड़ोसी का मुस्करा के स्वागत करते और वो आश्चर्य में हमारे खिलते गाल देखते है। हम भी कम आईडिया बाज नहीं और बस महीने में एक बार दो नीबू मिर्च सिंदूर उसके दरवाजे पर चुप चाप डाल आते। फिर हमारा पडोसी पूरे मोहल्ले से लड़ता गाली देता है और हम फिर मूंगफली लेकर बैठ कर लाईव तमाशा देखते हैं। है ना सॉलिड आईडिया क्यों बाबू भईया आईडिया तो आईडीया। उधर मंत्रालय से तत्काल एक ठेकेदार स्क्वैड की स्थापना करनी चाहिए, साल भर पहले एक बड़े नेता जी पुनः टोल मंत्री बने, एक जगह दौरे पर गये,भारी संख्या में ठेकेदार स्वागत के लिए टूट पड़े, वैसे भी सौ रुपये का बुके पकड़ा के शानदार फोटुएं लेना और फिर टेंडर के लिए बड़ी रकम चढ़ावा के रूप में, सबसे बढियां लीस्ट इन्वेस्टमेंट मैक्समम रिजल्ट देता है, सो भारी संख्या में स्वागतार्थी नेता की मुंडी से मुंडी सटा के लटक गए, नेता जी वाहन का दरवाजा पकड़ के किसी तरह अपना संतुलन बनाए हुए। उधर एक अन्य मंत्री जिनका मंत्रालय मुफ्त मंत्रालय के नाम से मशहूर है जिससे उनके पीछे भारी भीड़ अब आने लगी ,पीछे खड़े तमाम फ्रंटवंचित समुदाय आगे आकर माननीया के साथ ट्रेन के इंजन से एंगिल बना के फोटू लेने को आतुर और बेताब नजर आती है। फिलहाल धक्का मुक्की के नैसर्गिक गुण को देखते हुए स्क्वाइड गठित करने वाली पार्टी पर आरोप लगनें लगा। अन्य घटना से सबक लेते हुए सभी उच्च सुरक्षाहीन पर डिमांडेड नेताओं को इन घटनाओं से सबक लेकर अपना खुद का सुरक्षा बेड़ा विकसित करना चाहिए और हथकंडो के हाथ पकड़े रखिए।