राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव
एक आम व्यक्ति ने एक समोसे वाले की शिकायत सी.एम. हेल्पलाइन पर कर दी ‘‘बताइए साहब ये समोसे वाला समोसे घर ले जाने के लिए पैकेट में तो समोसे रख देता है पर उसके साथ प्लेट नहीं देता हम समोसों को खायेंगें कैसे ? जबकि उसकी दुकान पर समोसा खाओ तो वह बकायदा प्लेट में समोसे देता है ।’’ सी.एम. हेल्पलाइन वाले शिकायत पढ़ कर ही चकारा गये होगें । उकी समझ में नहीं आया होगा कि इस शिकायत का वो करें क्या । आम व्यक्ति, आम व्यक्ति ही होता है वह अपनी हर समस्या को बगेर लागलपेट कर प्रस्तुत कर देता है । मध्यप्रदेश के छतरपुर के किसी राकेश समोसे वाले की शिकायत मध्यप्रदेश सरकार की सी.एम. हेल्पलाइन पर एक आमव्यक्ति ने कर दी । वैसे तो सभी जानते हैं कि हैल्पलाइन पर की गई शिकायतों का अमूमन हश्र क्या होता है । शिकायत बड़े साहब की टेबिल से लेकर छोटे साब की टेबिल तक घूमती रहती है और फिर किसी छोटे कर्मचारी के माध्यम से उसकी जांच करा ली जाती है और शिकायतकर्ता को बता दिया जाता है कि आप शिकायत दूर कर दी गई है । शिकायतकर्ता अपनी दूर हुई शिकायत को खोजता रहता है पर वह चूंकि दूर हो गई है इसलिए उसे कभी न तो मिलती है और न ही दिखाई देती है । समोसे वाले की शिकायत भी ऐसे ही कुछ न कुछ कह सुनकर बंद करा दी गई होगी । प्रतिदिन हजारों शिकायत मख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दर्ज की जाती हैं और उनका अंत कर दिया जाता है । भोपाल में एक आयोजन 18 सितम्बर को होने वाला है ‘‘विवाह बिछेदन समारोह’’ । इसके लिए बकायदा आमंत्रण कार्ड छापे गए है और कार्यक्रम घोषित किया गया है । ‘‘जयमाला विर्सजन कार्यक्रम’’, बारात निर्गमन कार्यक्रम’’, पुरूष संगीत आयोजन’’, ‘‘सद्बुद्धि यज्ञ’’ और सात-पांच वचन भी सम्मलित कि गए हैं । यह अपने ढंग का पहला और अनूठा कार्यक्रम है । आयोजक उत्साहित हैं और वे ऐसे जोड़ों को आव्हान भी कर रहे हैं जो तलाक लेना चाहते हैं तो आइए हम आपका विवाह बिछेदन करा देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे सामूहिक विवाह कराए जो हैं, वैसे ही सामूहिक विवाह बिछेदन करये जायेगें । आम व्यक्ति अपने ढंग से बहुत कुछ सोचता रहता है और फिर उसे क्रियान्वयन की स्थिति तक ले जाता है । यदि यह आयोजन सफल हो गया तो सारे देश में ऐसे आयोजनों की बुकिंग की जाने लगेगी । विवाह भी बड़ी समस्या है और तलाक भी । वैसे तो हमारे हिन्दु धर्म में तलाक की गुजाइश कम ही रहती है माता-पिता ने जो करा दिया सो ठीक है, स्वीकार है । पर अब जमाना बदल चुका है । बेटा पिता को सूचित करता है कि फलां तारीख को वो विवाह कर रहा है आप सादर आमंत्रित हैं । ऐसे विवाहों का अंत तलाक के रूप् में ही होता है । जाहिर है कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे विवाहों की संख्या बढ़ी है तो जाहिर है कि विवाह बिच्छेदन की घटनायें भी बढ़ी हैं । हमारी संस्कृति बदल रही है और हमारे संस्कार गुम होते जा रहे हैं । भोपाल में होने वाले इस समारोह को आश्चर्य और आवश्यकता के रूप् में स्वीकार कर लिया जाऐगा । यह भी हमारी परंपराओं पर आघात ही होगा । गुजरात के बाद बिहार ऐसा राज्य बना है जहां पूर्ण शराबबंदी कर दी गई है पर आश्चर्य की बात है कि राज्य में शराब पकड़ी भी जा रही है और जहरीली शराब से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है । पीने वाले अपनी राह निकाल ही लेते हैं कि तर्ज पर पियक्कड़ों को शराब उपलब्ध हो रही है और वे नशे में झूम भी रहे हैं । पुलिस के पास केवल यही एक काम तो रह नहीं गया है कि वो दिन भर शराब ढूंढ़ती रहे और लोगों के मुंह सूघकर यह पता लगताी रहे कि ‘‘तुम नशे’’ में तो नहीं हो । वो तो जब सुर्खियां बन जाती है तब कार्यवाही होती है और ‘‘हम किसी भी हालत में शराबनहीं बिकने देगें’’ की घोषणा दोहरा दी जाती है । गुजरात हो या बिहार दोनों राज्यों की स्थिति इस मामले में एक जैसी है । लोग नशे के आदी हो चुके हें और वे जहरीली शराब पीने में भी नहीं हिचकते । शासन कितने ही कड़े कानून बना ले, प्रशासन कितनी ही उपाय कर ले पर हमेशा जीत नशे के कारोबारियों की ही होती है और पीने वालों की । जीत बनारस में हिन्दु संगठनों की भ हुई । ज्ञानवापी मस्जिद में स्थिति श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने की मांग से प्रारंभ हुई शिकायत अब नया रूप् ले चुकी है । भौतिक सर्वे तो न्यायालय ने करा लिया है अब दलीलों की बारी है और इसकी अनुमति जिला कोर्ट ने दे दी है । कौन सा पक्ष सही है और कौन सा गलत यह तो अब न्यायालय ही तय करेगा पर इससे उपजे तनाव को शांत बनाये रखने के लिए प्रशासन परेशान है । शहर दर शहर ऐसा होते रहने वाला है इसका अंत कहां जाकर होगा अभी कहना मुश्किल है । कृष्ण जन्मभूमि को लेकर भ वहां के जिला न्यायालय में केस चल ही रहा है । कुतुबमीनार परिसर में मंदिर निर्माण कीे लेकर भी दिल्ली के न्यायालय में केस चल रहा है, सिलसिला अनवरत है और न्यायालय अब व्यस्त है । कांग्रेस की ‘‘भारत जोड़ो’’ यात्रा भी गतिशील है । राहुल गांधी इस यात्रा के लीडर है और वे उत्साह के साथ यात्रा में लगे हुए हैं । कांग्रेस अब बहुत पीछे जा चुकी है उसे फिर से उठ खड़े होने के लिए ऐसी मेहनत तो करनी ही होगी । कांग्रेस के कई बड़े नेता अपनी उपेक्षा का आरोप लगा कर कंग्रेस छोड़ चुके हैं जो शेष बचे हैं वे कब तक कांग्रेस में है कहा नहीं जा सकता । नईटीम गठित हो नहीं पा रही है और पुरानी टीम अपने थके हुए कदमों से अन्य पार्टियों के साथ नए सफर पर निकल चुके हैं । वैसे यह तो सच है कि कांग्रेस इतनी बड़ा राजनीतिक दल है कि वह पूरी तरह खत्म हो जाये यह संभव नहीं है पर उसे फिर से मजबूत करने वाले कांधे की आवश्यकता है जो फिलहाल कांग्रेस में कोई दिखाई ही नहीं दे रहा है । राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और इसके बहाने वे कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं । कितने सफल होगें यह भविष्य के गर्त में है पर वे निराश नहीं है यह अवश्य ही दिखाई दे रहा है । इस साल के अंत तक गुजरात में और अगले साल के अंत तक पांच राज्यों में जिनमें मध्यप्रदेश, छत्तीगढ़ और राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं उनमें चुनाव होने हैं । कांग्रेस इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहती है तो भारत जोड़ो जैसी यात्राओं की जरूरत तो है । अरविन्द केजरीवाल कांग्रेस के सिमटते कुनबे से प्रसन्न है । वह कांग्रेस के विकल्प में स्वंय को खड़ा देख रही है । पंजाब में वह कांग्रेस के विकल्प के रूप् में उभरी भी और सत्ता पर काबिज भी हुई । इसी तर्ज पर वह गुजरात में मेहनत कर रही है । अरविन्द केजरीवाल अपना ज्यादातर समय गुजरात में ही व्यतीत कर रहे हैं । उन्हें सत्ता आती हुई दिखाई दे रही है, इसी तरह हिमाचल प्रदेश में भी वो अपनी नजरें गढ़ाये हुए हैं । अरविन्द केजरीवाल इन राज्यों की सत्ता का महत्व जानते हैं । केन्द्र तक पहुंचने का रास्ता राज्यों से होकर ही गुजरता है सो वे इन राज्यों की यात्रा पर निकल पड़े हैं । संभवतः यही कारण है कि भाजपा कांग्रेस को छोड़कर आप पार्टी पर निशाना साधने लगी है । भाजपा पूरी तरह से आप पार्टी पर फोकस किए हुए है और उसे विवादों के घेरे में रखे हुए हैं । आप सफाई दो हम आरोप लगायेगें । सफाई देने में आपका वक्त जाया होगा तो आप इन राज्यों में फोकस नहीं कर पायेगें । वैसे अरविन्द केजरवाल भाजपा की इस सोच से आगे निकल चुके हैं । भाजपा आरोप लगाती रहती है और अरविन्द केजरीवाल अपने चुनावी दौरों पर घूमते रहते हैं । उनके पास वक्त नहीं है आरोपों कर जबाब देने का । वे गुजरात को जीतना चाहते हैं ताकि वे कह सकें कि उनकी पार्टी तीन राज्यों में सत्ता पर काबिज है । वैसे यदि ऐसा होता है तो यह निश्चित ही आप पार्टी के लिए बहुत बड़ी उपलब्ध होगी और भाजपा के लिए चिन्तित होने का कारण भी । जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का अवसान हो गया । वे शतायु यात्रा पर थे कुछ दिनों से बीमार भी थे । निर्भीक, निडर और ओजस्वी व्यक्तित्व । उनका अवसान निश्चित ही बहुत दुखद घटना है । उन्हें सादर नमन ।