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(व्यंग्य) मेरी भाषा मेरा देश अभियान की अनसुनी कवर स्टोरी..!

आजकल  भाषा की जंग मची है तो सोचा मै भी बहती गंगा में हाथ धो लूं क्योंकि मेरी भाषा वैसे भी ओवैसी टाईप की है । भारत में जी 20 सम्मेलन और भारत बनाम इंडिया के बीच महासंघर्ष जारी है और इस लड़ाई में सबको एक पक्ष की तरफ से जरूर लड़ना ही होगा । अब यह आपकी निजी रुचि है कि आप भारत की तरफ से आंखो पर पट्टी बांध कर लड़े या इंडिया की तरफ से खड़े होकर सारथी बने रहें । उधर खरगे को जी 20 में पंगत खाने का निमंत्रण नहीं गया तो दलितों के फूफा की तरह नाराज हो गए, अब बोल रहें मै तो धृतराष्ट्र बन गया मुझे कोई पूछ ही नहीं रहा । दोनों पक्षों के इस महाभारत में कई भीष्म , द्रोन, कर्ण, कृष्ण और दुर्योधन समर में है । इस बार का भाषाई महाभारत जी-20 देशों की उपस्थिति में लड़ा जा रहा और हमला जुबान रूपी दिव्यास्त्रों से हो रहा । कर्ण फेंकने में माहिर है तो कृष्ण रायता फैलाने में वहीं भीष्म अपने पुत्र को सनातन के विरूद्ध लड़वा रहे और सबसे मजेदार बात तो यह की इस बार दुर्योधन धर्म के लिए लड़ रहा । अर्जुन के साथ भीम नहीं है क्युकी उन्हें जय भीम बोलने वालों ने अपनी तरफ कर लिया है । युधिष्ठिर भारत चाहते है तो नकुल की रुचि इंडिया में है इसी बीच ईडी भी इस जंग में पांडवों के विरोध में लड़ने आ गया है । हिडिंबा ने पूरा बंगाल हिला डुला रखा है तो घटोत्कच को इस बार कौरव एलायंस का नेतृत्व दे दिया गया है , उधर दुशासन को सनातन को गाली देने के लिए मैदान में उतारा गया है । ऐसे में  रायता हियां है भिया जहां देश  के एक फाइव स्टार हॉस्पिटल में डॉक्टरों की टीम ने भाषा के इस युद्ध की खबर लगते ही एक पेशेंट को तुरंत बायपास सर्जरी करवाने की सलाह दे दी  पेशेंट बहुत नर्वस हो गया किंतु तुरंत तैयारी में लग गया । ऑपरेशन के पहले वाले सारे टेस्ट हो जाने के बाद डॉक्टर की टीम ने बजट बताया 18 लाख, जो कि पेशेंट और परिवार वालों को बहुत ही ज्यादा था ।

                लेकिन हमारे जौनपुर में एक कहावत है कि जान है तो जहान है फिर बनना मेहमान है ! यह सोचकर वह पेशेंट फॉर्म भरने लगा । फार्म भरते भरते व्यवसाय का कॉलम आया तो आपरेशन की टेंशन और रूपये के इंतजाम की उधेड़बुन में  ना जाने क्या सोचते सोचते या पता नहीं किस जल्दबाजी में उस बनारसी पेसेंट ने  गुरु उस काॅलम के आगे ईडी लिख दिया जहां व्यवसाय की बात लिखी थी । और फिर… अचानक हॉस्पिटल का वातावरण ही बदल गया । डॉक्टरों की दुसरी टीम चेकअप करने आयी , आनन फानन में  रीचेकिंग हुई… टेस्ट दोबारा करवाए गए और टीम ने घोषित किया कि ऑपरेशन की जरूरत नहीं है । मेडिसिन खाते रहिये ब्लाकेज निकल जायेगा। पेशेंट को रवाना करने से पहले तीन महीने की दवाइयाँ फ्री दी गई और चैकअप और टेस्ट फीस में भी जबरदस्त ‘डिस्काउँट’ दिया गया । बनारसी पेशेंट टेंशन में की ये हुआ कैसे ..? इस बात को छः महीने हो गये , पेशेन्ट अब भला चंगा है ।कभी-कभी उस हाॅस्पीटल में चैकअप के लिये चला जाता है । उस दिन के बाद उसका चैकअप भी फ्री होता है और बिना चाय पिलाये तो डाॅक्टर आने ही नहीं देते । पेशेंट बहुत खुश है हाॅस्पीटल के इस व्यवहार से और मोदी जी की तारीफ करते नहीं थकता , गाहे बगाहे लोगो के आगे इस अस्पताल की तारीफ करता रहता है । पर कई बार ये सोच कर बहुत हैरान होता है कि 15 साल हो गये उसे नौकरी करते पर एजुकेशन डिपार्टमेंट का एम्प्लॉई होने की वजह से इतनी इज्जत ,इतना सम्मान तो उसके परिवार वालों ने भी कभी नहीं दिया जैसे वो अस्पताल वाले उसे सर पर बैठाए रखते हैं अब जब उससे रहा नहीं गया तो एक दिन मुझसे पूछ बैठा अस्सी घाट कर चाय पीते पीते और बोला सुना हो पत्रकार भैया ! इ बतावा गुरु एजुकेशन डिपार्टमेंट से एतना फिसलिटी कब से मिले लगल हो तब हम उसको समझाते हुए बोले तुम फॉर्म में ईडी भर के आए थे मतलब एजुकेशन डिपार्टमेंट और अस्पताल वालों ने समझा प्रवर्तन निदेशालय । यह है भाषा का खेल ।          ___ पंकज कुमार मिश्रा मीडिया पैनलिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी

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