राही सहयोग संस्थान जयपुर ने विश्व के सौ रचनाकारों की सूची प्रकाशित की है। यह बहुत ही खुशी की बात है कि पंजाब केसरी में नियमित लेखन करने वाली हिंदी साहित्यकार को इस सूची में 83वां स्थान मिला है।इस रैंकिंग पर सविता जी का कहना है कि गीता के अनुसार कर्मयोग ही लेखक की कर्मभूमि है
और लेखक को समाजोपयोगी लेखकीय दायित्व का निर्वाह करते रहना चाहिए। उन्हें अपने लेखन पर भरोसा है और विश्वास है कि आने वाले वर्षों में इस रैंकिंग में उनका नाम ऊपर आ सकेगा। उल्लेखनीय है कि श्रीमती सविता चड्ढा 1984 से आज तक निरंतर लिख रहे हैं और विभिन्न विषयों पर उनके दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हैं।