कोंख बसर में रख तूं पाला
राम कृष्ण महावीर बुद्ध ;
नानक ईशा कलाम
विवेकानन्द मनीषी प्रबुद्ध!
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पतिव्रत धर्म निभाने को
पाहन रूप धरी अहिल्या ;
सतीत्व को सत्यापित करने
अग्नि परीक्षा से गुजरी सीता!
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पति के स्वाभिमान की रक्षा में
सती हो गयी हिमालय नन्दनी ;
सबरी धीरज की सुकुमार हृदया
नारी इतिहास रहा सदैव वन्दनीय!
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मणिकर्णिका मनु लक्ष्मी बाई
अंग्रेजों को नाकों चने चबवाई;
भक्तिभाव उद्दात समर्पण मीरा
कृष्ण कृष्ण टेर एक तार बजाई!
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राधा प्रतिबिम्ब कृष्ण प्रेम की
तारामती पति धर्म निभाई ;
पुत्रशोक विह्वल माँ विलखती
अंचरा फाड़ शव कर्ज चुकाई!
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बिन बिन तृण दाने दिन भर
चञ्चु चुगाती दूध पिलाती;
डयनों पर उड़ना सिखलाती
शावक को सिंह शेर बनाती !
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नारी तूं खेतों में खटती
चाक की मिट्टी लौंदे गढ़ती;
तूं कठोर परिश्रम से थकती
रहती पर आंखो में हंसती!
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नारी तूं सृजनिका ब्रह्माणी
नारी शक्ति प्रबोधन महतारी;
संस्कार मर्यादा की वाहिका
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती नारी!
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-अंजनीकुमार’सुधाकर’