कमाने के लिये वो दिन रात को भूल जाते हैं
होते ही शाम को वो सबके लिए कुछ लाते हैं
खुद सारे शौक को कुर्बान कर जाते हैं
मेरे पापा हमें हर खुशियां दे जाते हैं
स्कूल से जब में घर को आता हूँ
वो जब घर में छुप जाते हैं
मेरे ढूंढ़ने पर जब वो मुस्कराते हैं
मेरे पापा हमें हर खुशिया दे जाते हैं
कितनी ही तकलीफों को अकेले सहन कर जाते हैं
वो चुप रहकर हमें हिम्मत दे जाते हैं
मेरे पापा हमें हर खुशियां दे जाते हैं
ज़माने को समझा के ज़माने से बचा के ज़माने से प्यार करना सिखा जाते हैं
मेरे पापा हमें हर खुशिया दे जाते हैं
अभिषेक तिवारी