जी हाँ मित्रो!, चीन ने पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को फैलाकर कोहराम मचा दिया जिसके चलते सारा विश्व परेशान है और सबके निशान पर चीन अपने को देख रहा है । गलती की है और यदि मान लेते हो तो इसके अनेक उपाय हैं, बात बन जाएगी । किन्तु चोरी और सीनाजोरी न कभी चली है न चलेगी ।
अभी विश्व के सभी नामचीन देश इस महामारी के संकट से अपने देशवासियों को निकालने की जद्दोजहद में लगे हैं, फिर बाद में वे चीन से निपटेंगे ही । ये चीन भी जानता है । स्वाभिमान सर्वोत्तम है किंतु अभिमान विनाश का द्वार खोलता है, जो शायद जाने अनजाने में चीन अपने लिए खोलने लगा है ।
पूरे विश्व में सर्वेश्रेष्ठ–सुपर पावर बनने की लालसा उसे कहीं का नहीं छोड़ेगी । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विरूद्ध उनके देश में ही आवाज उठने लगी थी –बेरोजगारी, महामारी ने जनता को बहुत सताया है । इसलिए अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए ध्यान भटकाने का यह चीन का दुष्प्रयास है भारत से उलझना ।
अब तो वह इस तर्ज पर मानो गुनगुनाएगा कि ‘यारो मैंने पंगा ले लिया–––’
क्यों ? पहली गलती तो यह कर दी कि सुपरपावर बनने के सपनों को देखते हुए आँखें बन्द कर ली अपनी । सामने कौन है उसकी क्षमता क्या है, उसकी कितनी शक्ति है, कितना बड़ा बाजार है उनके लिए यह देश, बिना यह सब आंकलन किए उनके सैनिक लद्दाख स्थित गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से भिड़ गए । वे पूरी तैयारी के साथ सतर्क थे किन्तु राष्ट्रभक्ति का अलख जगाए भारतीय शूरवीरों ने उन्हें अपना दमखम दिखा दिया । अपने से दोगुने सैनिक घायल कर दिए जिनमें से अधिक संख्या में मारे गये चीनी सैनिक ।
दूसरा, मोदी सरकार ने आँखों में आँखे डालते हुए सभी सरकारी (बड़े–बड़े) टेंडर चीन के रद्द करने प्रारम्भ कर दिये । भारतीयों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया । अब हिन्दी–चीनी भाई–भाई नहीं, उन्हें बाय–बाय करने का दृढ़ निश्चय कर लिया है । गली–मोहल्लों से लेकर शहर–राज्य या कहें पूरे भारत में यह शोर जोरों पर है ‘चीनी सामान का बहिष्कार करो’ । दिल्ली–एनसीआर की होटल एसोसिएशन ने किसी भी चीनी नागरिक को होटल में ठहराने के लिए मना कर दिया है । और आज (30 जून को) तो भारत सरकार ने कठोर निर्णय लेते हुए चीन पर आर्थिक स्ट्राइक ही कर दी और मानो उनकी कमर पर गहरा वार किया है और चीन के 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबन्ध लगा दिया ।
चीन को आँख खोलकर निर्णय करना चाहिए था । यह 1962 वाली स्थिति का भारत नहीं है जब अंग्रेजों की सौ वर्षों की गुलामी के उपरान्त संभलने, पनपने और अपनी क्षमता को बढ़ाने में प्रयासरत था । आज कौन सा क्षेत्र् है जहां भारत का बोलबाला नहीं है । यह ऐप बन्द होने से उन्हें हजारों करोड़ रूपयों से हाथ धोना पड़ेगा । इस बात को लेकर चीन के मीडिया में भी हड़कंप मचा हुआ है ।
भारत की संस्कृति–सभ्यता और संस्कार रहे हैं –‘सर्वे भवन्तु सुखिन‘’, सभी सुखी हों, सम्पन्न हों । इसीलिए यह नारा दे दिया था ‘हिंदी–चीनी भाई–भाई’ किन्तु कहा गया है जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन । जीव जंतु–कीड़े–मकौड़ों का भक्षण करने वालों से सहृदयता की कामना करना ही बेमानी लगता है । हम बाल मजदूरी का विरोध करते हैं, वहाँ उनसे कठोर परिश्रम करवाया जाता है । जब भी किया विश्वास उस पर तभी उसने घात लगाकर विश्वासघात किया ।
समय आने पर पाकिस्तान–नेपाल आदि देश भी यह बात समझ जाएँगे किन्तु जब तक शायद देर हो चुकी होगी ।
— मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक)