फिर वही यादों की बारिश,वही गम का मौसम।
जाने कब झूम के आएगा प्यार का मौसम।
ख्वाबों के ताजमहल,
रोज बना करते हैं,
वादों के शीश महल,
चूर हुआ करते हैं।
फिर वही टूटी उम्मीदों के खंडहर सा मौसम,
जाने कब झूम के आएगा प्यार का मौसम।
चांदनी आती नहीं,
चांद भी नहीं आता,
तारों ने तोड़ दिया,
नीलगगन से नाता।
फिर वही काली रात में वो सिसकता मौसम,
जाने कब झूम के आएगा प्यार का मौसम।
तुम अगर आते अंखियों
के कमल खिल जाते,
दिलों के बिछड़े हुए,
राजहंस मिल जाते।
फिर वही गीतों के होठों पै,विरह का मौसम,
जाने कब झूम के आएगा प्यार का मौसम।
गीतकार –अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर