क़तर रहे हैं पंख वो, मेरे ही लो आज !
सीखे हमसे थे कभी, भरना जो परवाज़ !!
आखिर मंजिल से मिले, कठिन साँच की राह !
ज्यादा पल टिकती नहीं, झूठ गढ़ी अफवाह !!
अब तक भँवरा गा रहा, जिसके मीठे राग !
वो तितली तो उड़ चली, कब की दूजे बाग़ !!
वक्त-वक्त का खेल है, वक्त-वक्त की बात !
आज सभी वो मौन हैं, जिनसे था उत्पात !!
जिनके सिर हैं पाप की, ब्याज समेत उधार!
बनकर साहूकार वो, करने चले सुधार !!
नोट कहाँ कब बोलते, करते सिक्के शोर !
केवल औछे लोग ही, दिखलाते हैं जोर !!
बौने खुद औकात का, रखते कहाँ ख्याल !
काँधे औरों के चढ़े, नभ से करें सवाल !!
जीवन पथ पे जो मिले, सबका है आभार !
काँटे, धोखा, दर्द जो, मुझे दिए उपहार !!
क्या पाया,क्या खो दिया,भूलों रे नादान !
किस्मत के इस केस में, चलते नहीं बयान !!
वक्त न जाने कौन तू, वक्त बड़ा बलवान !
भेजे वन में राम को, हरिश्चंद्र श्मशान !!
जब तक था रस बांटता, होते रहे निहाल!
खुदगर्जी थोड़ा हुआ, मचने लगा बवाल !!
–प्रियंका सौरभ