पिता एक ऐसा शब्द जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक ऐसा पवित्र रिश्ता जिसकी तुलना किसी और रिश्ते से नहीं हो सकती है। यह सत्य है कि हमेशा माँ के बारे में ही लिखा जाता है । हर जगह माँ को ही स्थान दिया जाता है पर हमारे परिवार के वट वृक्ष तो पिता ही है ,उनकी छाँव में ही हमारा पालन पोषण होता है । उनका प्रेम किसी को दिखता नही है और ना ही वे किसी को दिखाते है।
पिता के संयम ,धीरज ,अनुशासन के कारण बच्चे पिता से थोड़ा भय भी रखते है पर पिता एक नारियल की तरह है जो ऊपर से कठोर और भीतर से मुलायम। पिता परिवार में अनुशासन रखते है वही परिवार की शक्ति ,संबल होता है और पिता का आशीष, आशीर्वाद बच्चों पर होता है ।
पिता के चरणों में समर्पित कविता …..
पिता वट वृक्ष है परिवार के ,
इनकी छाँव में ही हम पलते।
पिता के दिल में प्रेम अपार ,
पर हमारे से सख्ती दिखाते।
पिता ही जीवन का ज्ञान देते ,
संयम ,धीरज ,अनुशासन सिखाते।
पिता ही जीवन के संस्कारों को सिखाते,
ये संस्कार ही जीवन का कवच है बनते।
पिता के आशीर्वाद से नवजीवन निर्माण,
उन्ही से ही संकल्पों को पूरा करते ।
माता-पिता की सेवा से मिलती शान्ति अपार ,
मात- पिता के चरणों में ही बसे चारों धाम
०० मंजू लता (राजस्थान)