पावन यह गणतंत्र हमारा,
कर्तव्यों को भी निभाते हैं।..
मिलकर आओ जग में हम,
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।….
जब आजादी की अलख जगी,
वीरों ने प्राण गवाये थे।
पावन मातृभूमि की रक्षा को,
वे बलिदानी कहलाये थे।।
मातृभूमि की चरण धूलि हम,
सदा ही शीश लगाते हैं।
पावन यह गणतंत्र हमारा,
कर्तव्यों को भी निभाते हैं।..
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…….
शीश हिमालय मुकुट बना,
सागर भी पाँव पखारे हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
सुशोभित प्रांत ये प्यारे हैं।
यह सर्व धर्म का राष्ट्र सदा,
हम पुष्प सभी एक उपवन में।
यहाँ एकता का दीप जले,
सदा हम सभी के तन मन में।।
हम अपने राष्ट्र की रक्षा को,
एकता जग को दिखाते हैं।
पावन यह गणतंत्र हमारा,
कर्तव्यों को भी निभाते हैं।…
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…..
सजी सुंदर धरा खलिहानों से,
पावन सरिता की धारा है।
परंपराओं का नित नित संगम,
सभ्यता को भी सवाँरा है।।
मातृभूमि की सेवा हम करते,
सदा तिरंगे का मान बढ़े।
रक्षा भारत भूमि की होवे तब,
जन जन का सम्मान बढ़े।।
मिलकर आओ जग में हम,
भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।
पावन यह गणतंत्र हमारा,
कर्तव्यों को भी निभाते हैं।
…भुवन बिष्ट
रानीखेत (उत्तराखंड)