बुजुर्ग की झोली में खुशियां भर दीजिए
बुजुर्ग की यादाश्त कमजोर हो जाती है,
बेचारे से अक्सर गलतियां हो जाती हैं.
बेवजह उन्हें उलहना सुनना पड़ता है,
जिल्लत की जिंदगी ढोनी पड़ जाती है.
दिल की बात कहें तो वे किससे कहें?
कोई भी हमदर्द उनकेआसपास नहीं है
इसलिएअकेले में वे चुपके से रो लेते हैं
रो लेने से गम में कुछ हो जाती कमी है.
एक मासूम बच्चा और बूढ़े-बुजुर्ग में,
केवल उम्र का ही लंबा फासला है.
दोनों को कम ही बातें याद रहती हैं,
दोनों की प्रकृति में लगभग समानता है.
बच्चा-बूढ़ा-बुजुर्ग को हमदर्दी चाहिए,
दोनों को पारिवारिक प्रेम का भरोसा है.
असहाय, निरीह प्राणी सा दोनों ही,
दूसरों का मोहताज सदा बना रहता है.
बूढ़े-बुजुर्गों का सदा सम्मान कीजिए,
कभी-कभी उनका हमदर्द बन जाइए.
उनके मनोनुकूल मधुर वाणी बोलकर,
बुजुर्ग की झोली में खुशियां भर दीजिए.
डॉक्टर सुधीर सिंह