देखो मदान्ध हो ड्रैगन ने,
फिर हमको ललकारा है।
स्वर्गादपि गरीयसी इस मातृभूमि,
का कण कण हमको प्यारा है।।
आत्मनिर्भर हो भारत अपना ,
अखंड राष्ट्र का नारा है ।
चीनियों का बहिष्कार हो ,
राष्ट्र धर्म हमारा है ।।
मानसरोवर का खौलता जल ,
हिम बना धधकता अँगारा है ।
बच्चे- बच्चे का अंग फड़कता,
देशभक्ति का जज्बा उमड़ता ।।
शांति सत्य के समर्थक,
जन्मजात अहिंसा पुजारी हैं ।
पर कायर ना समझना मूर्ख,
हम ही कृष्ण अवतारी हैं ।।
चुनौती देता दुर्दांत आततायी
क्या भूल गया इतिहास अन्यायी।
युद्ध का आमंत्रण देता ,
क्या प्रभुता बहुत गरूर छाई ?
नहीं चुप रहेंगे आज,
भारत भाल पहनेगा ताज ।
महाकाल का भैरव नाद,
खड्ग, गदा बजाते साज।।
ये मानवता के शत्रु चीनी,
यदि हम से टकराएँगे ,
इस बार वसुधा से अपनी ,
पहचान पूरी मिटायेंगे।।
प्रलयकाल का सागर तूफानी जगे,
शिवालय में डमरूधारी जगे ।
क्रांति की नाद रणभेरी बजे ,
झंकृत वीणा, चंडी, काली जगे।।
भारत सिरमौर रहे, संपूर्ण वसुधा का,
भाल ऊँचा इसका ,स्वाभिमानी रहे ।
पूरे ब्रह्मांड में वंदना होवें सर्वत्र ,
इसका सानी विश्व में ना रहे अन्यत्र।।
अंशु प्रिया अग्रवाल
मस्कट ओमान