हो गया हल्ला
जब मिला मुर्दों का मोहल्ला
खुले आसमान में
गंगा की गोद में
सोये हुए प्राणहीन
आप के सगे संबंधी।
कौन है? जिम्मेवार!
जिन्हें छोड़ कर
बालू की रेत में
चले जा रहे
अपना कर्म पूर्ण कर।
बनाकर विविध पंथ, धर्म,
पाखण्ड में पड़कर!
अपनों को ही
चील , कौओं के हवाले कर
जिसकी जड़ से
फूल फल रहे थे।
कहां मर गई ।।।।
सारी संवेदनाएं!
प्राणहीन लाशों के प्रति
उलझा दिए अपरिचितों को
अनकही, अनसुलझे—
वाद-विवाद में
जहां
उन्हीं लाशों के ढेर पर
कुछ लोग
चला रहे हैं अपनी
राजनितिक बल्ला।
हो गया हल्ला
जब मिला मुर्दों का मोहल्ला।
भीम प्रसाद प्रजापति