भ्रष्टाचार बन गया शिष्टाचार
भुखमरी-गरीबी का गरम बाजार
सरकारी योजनाओं का व्यापार
लालफीताशाही का अत्याचार
जनतंत्र बन गया आज मजाक,
संसद में जा बैठे चोर हजार
कुर्सी की खींचतान में नेताओं ने
प्यारे भारत की अवाम दी मार
हे! सुभाष,भगत, बिस्मिल, असफाक
कब होगा भारत भू पर सच्चा उजियार
फैला साम्राज्य पाश्चात्य संस्कृति का
भारतीय संस्कृति में हो गया अंधियार
पग-पग पर बैठा दानव रुपी भ्रष्टाचार
आज गई बीच चौराहे पे इंसानियत हार
खाकी बेशर्मी से चंद सिक्कों के लिए
हमने देखी टप-टप टपकाते हुए लार
भ्रष्टाचार बन गया अब तो शिष्टाचार
आम आदमी जाये कहाँ किस द्वार ?
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा