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इमरती बड़ी चुलबुली… (बाल-कविता )

इमरती है बड़ी चुलबुली

सोनपपड़ी अकड़ी अकड़ी

कलाकंद दे रहा आनंद

बरफी बिफरे करे फंद

रसगुल्ला कर रहे हल्ला

लड्डू ने झाड़ा है पल्ला

मक्खनबड़ा रहते हैं मौन

खीरमोहन की चली पौन

जलेबी रस में डूबी पड़ी

रबड़ी बात करे तगड़ी

मोहनभोग लगे अच्छे

गूँजी दे रही है गच्चे

घर अंदर इनके हाँके हैं

बाहर फुलझड़ी पटाखे हैं

लक्ष्मी जी करेगी भली भली

हम मना रहें सब दीपावली

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                      – व्यग्र पाण्डे

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