कविता और कहानीउम्मीद कभी न छोड़ना ( किरण चावला ) utkarshmail7 years ago01 mins उम्मीद कभी न छोड़ना । अगर कश्ती भी डूब जाती है। कुछ तो बिखरता ही है । जब आँधियाँ निरतंर आती हैं । बंदे तू मुक़ाबला कर । अपनी हिम्मत और आस से । कभी भी न डगमगाना । खुद पर अपने विश्वास से । ( किरण चावला ) Post Views: 1,233 Post navigation Previous: एक प्रधान मंत्री ऐसा भी (नरेंद्र दामोदर दास मोदी )Next: मध्यम कौन? Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.