मैम मैं भी बहुत लिखती थी । किसी भी घटना को कलमबद्ध कर लिया करती थी । कुछ कहानियाँ व कविताएँ भी लिखी थीं,पर मेरे घर
में कुछ भी अपना व्यक्तिगत नहीं है ।
मतलब ?मैं कुछ अनजान सी छेड़ते हुए बीच में बोल पड़़ी ।
मतलब कोई किसी की भी डायरी आदि देख सकता है ।
तो क्या हुआ ,कौन सा गलत काम है कविता ,कहानी ,संस्मरण लिखना । तुम तो कितना अच्छा काम कर रही थी ।
आप कह रहीं हैं न ,सब ऐसा नही कहते ।
अब मैं परेशान हो उठी आखिरकार यह क्या कहना चाहती है । मुझे भी अपनाबीता बचपन याद आ गया ,मैं भी तो डायरी लिखा करती थी उसमे सुन्दर सुन्दर कवितायें भी तो लिखा करती थी।शेरो शायरी की तो दीवानी ही थी ।पर यह सब मेरे घरवालों के नजरों में एक
अपराध सदृश था ,सो छिप छिप कर लिखती फिर फाड़कर फेंक देती थी । जो डायरी बहुत ही छिपाकर रखी हुई थी वह घरवालों ने मेरी शादी के बाद कबाड़ में बेच दी थी । यह जानने के बाद मैं बहुत रोयी थी ।आजतक उस डायरी को नहीं भुला पायी ।
खाली पीरियड में सुमिता फिर नजर आई शायद उसका भी पीरियड खाली है सोच उसके पास आ गयी ।
सुमिता क्या कह रही थी सीधे सीधे बताओ ।तुम्हारी बात मैं नहीं समझ पायी ।
मैम मै यह बता रही थी कि मैने भी बहुत सारी कविताएँ डायरी में लिखी थीं । अगर कही कोई भी घटना होती थी तो उसे ज्यों का
त्यों उतार देती थी ।
ये तो बहुत ही अच्छी बात है ,ये गुण सभी को कहाँ मिलता है।
पर मेरी अपनी कोई आलमारी आदि तो है नहीं । एक दिन मेरे पिता जी को मेरी डायरी मिल गयी ।
फिर ?
फिर क्या ,उन्होने डायरी पढ़ी और उसे फाड़ कर कूड़ेदान में फेंक दिया । मैंम मैं क्या करुँ कई बार मैं पूरी पूरी रात सो ही नहीं पाती ।
मै हतप्रभ थी । आज भी लोग इतने पिछड़े हुए है । साहित्य रचना का मूल्य उन्हे समझ नहीं आता है । या लड़कियों को वे इसके
योग्य नहीं समझते। सुमिता मे मेरा अपना बीता समय झाँकता नजर आ रहा था ।
जो घुटन मैने जिया था आज वही तो सुमिता भी जी रही है ।
डॉ.सरला सिंह।